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Punjab News: विधायकों के न पहुंचने से कृषि कमेटी की बैठक फिर रद, खामियाजा भुगत रहे किसान

यह पहला मौका नहीं है जब पंजाब विधानसभा की कृषि व सहायक धंधों को लेकर बनी कमेटी की बैठक में विधायक नहीं पहुंचते। इससे पहले पिछली बैठक के दौरान भी ऐसा ही हुआ था जब कृषि नीति को लेकर बनाई गई विशेषज्ञों की कमेटी को बुलाया गया था। इस बैठक में भी मात्र तीन विधायक ही पेश हुए।अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि नीति बनाने वाले कितने गंभीर हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Thu, 07 Sep 2023 05:00 AM (IST)
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विधानसभा की कृषि कमेटी की बैठक फिर रद (file photo)

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा की कृषि कमेटी की बैठक मंगलवार को एक बार फिर रद हो गई क्योंकि कमेटी का कोरम पूरा नहीं था। मात्र तीन विधायक जिनमें फौजा सिंह सरारी, मनजिंदर सिंह सिरसा और संदीप जाखड़ शामिल ही इस बैठक में आए, कोरम पूरा न होने के कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा।

आज मंडी बोर्ड के अधिकारियों के साथ किसानों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और फसली विविधिकरण पर उनकी भूमिका के बारे में चर्चा की जानी थी। लेकिन कमेटी के चेयरमैन सरवण सिंह धुन सहित दस अन्य विधायक जिनमें गुरदित सिंह सेखों, हरमीत सिंह पठाणमाजरा, जगदीप सिंह , जगतार सिंह दयालपुरा, जगदीप सिंह गिल,जसवंत सिंह गज्जणमाजरा, मनप्रीत सिंह अयाली,राजकुमार और रणबीर सिंह आदि बैठक में नहीं पहुंचे।

पिछली बैठक के दौरान भी ऐसा ही हुआ था

यह पहला मौका नहीं है जब पंजाब विधानसभा की कृषि व सहायक धंधों को लेकर बनी कमेटी की बैठक में विधायक नहीं पहुंचते। इससे पहले पिछली बैठक के दौरान भी ऐसा ही हुआ था जब कृषि नीति को लेकर बनाई गई विशेषज्ञों की कमेटी को बुलाया गया था। इस बैठक में भी मात्र तीन विधायक ही पेश हुए।

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गनीमत यह थी कि इसमें कमेटी के चेयरमैन थे लेकिन आज की बैठक में वह भी नहीं आए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि प्रधान पंजाब में कृषि को लेकर नीति बनाने वाले कितने गंभीर हैं। काबिले गौर है कि विधानसभा की कमेटियों में कृषि को लेकर कोई कमेटी नहीं थी बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में यह बनी थी। कृषि के अलावा सहकारिता भी कमेटी बनी है।

पिछले साल तक कृषि पर बनी कमेटी काफी बैठकें और चर्चाएं करती रही है। पिछले साल कृषि कमेटी के चेयरमैन गुरप्रीत सिंह बनांवाली ने एक विस्तृत रिपोर्ट भी विधानसभा के पटल पर रखी थी। उन्होंने इस रिपोर्ट को लेकर विधानसभा के बजट सत्र में लंबी चर्चा भी की थी और सरकार से आग्रह किया था कि उनकी रिपोर्ट की गई सिफारिशों को लागू किया जाए।

हालांकि उन दिनों में कृषि नीति को लेकर तब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया ही था । अब जब विशेषज्ञ कमेटी अलग अलग सेमीनार, चर्चाएं आदि कर रही है तो विधानसभा की विभिन्न पार्टियों पर आधारित बनी कमेटी अपने कोई सुझाव इस कमेटी को दे नहीं पा रही है क्योंकि विधायक बैठक में आते ही नहीं हैं।

दिलचस्प बात यह है कि पिछले दिनों स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने सभी कमेटियों के चेयरमैन आदि के साथ बैठक करके उन्हें आग्रह किया था कि वह इस प्लेटफार्म का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें ताकि उनकी चर्चाओं को रिपोर्ट के रूप में सरकार के सामने रखा जा सके। लेकिन कमेटियों की बैठकों में विधायकों की गिनती को देखकर नहीं लगता कि किसी पर भी स्पीकर के आग्रह का असर हुआ है।