पंजाब के मुख्यमंत्री के विशेष मुख्य सचिव वीके सिंह ने किसान संगठनों से राज्य में कहीं भी रेल रोको जैसे आंदोलनों से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के गोदामों में भरे हुए अनाज को दूसरे राज्यों में भेजना मुश्किल होगा और डीएपी जैसी खादें भी मंगवानी मुश्किल होंगी। किसानों ने राज्य में कहीं भी ट्रेन न रोकने पर अपनी सहमति जताई है।
इन्द्रप्रीत सिंह,
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री के विशेष मुख्य सचिव वीके सिंह ने किसान संगठनों से प्रदेश में कहीं भी रेल रोको जैसे आंदोलनों से बचने को कहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जहां प्रदेश के गोदामों में भरे हुए अनाज को दूसरे प्रदेशों में भेजना मुश्किल होगा।
वहीं, डीएपी जैसी खादें भी मंगवानी मुश्किल होंगी। इसके बाद किसानों ने राज्य में कहीं भी ट्रेन न रोकने पर अपनी सहमति जताई।
शनिवार को चंडीगढ़ में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वीके सिंह ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेताओं के साथ करीब ढाई घंटे बैठक की।
बैठक में किसानों ने वीके सिंह से कहा कि वे ट्रेनें नहीं रोकेंगे, लेकिन जहां भी धान बेचने में दिक्कत होगी, वहां किसान आंदोलन करेंगे। इस पर वीके सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि किसान पूरी तरह से सुखाकर धान को लाएं, सरकार एक-एक दाना खरीदेगी। बैठक में किसानों की अन्य मांगों को रखते हुए बासमती की खरीद के लिए निगम बनाने, चीनी मिलों को समय पर चलाने, फगवाड़ा चीनी मिल के 28 करोड़ बकाया राशि का भुगतान करने समेत अन्य मुद्दों का समाधान करने की मांग की, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान किसान आंदोलन और किसानों के साथ होने का दावा करते हैं, लेकिन किसानों की मांगों को व्यावहारिक रूप नहीं दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों से राजनीतिक बदला ले रही है। उन्होंने कहा कि अगर धान बेचने में कोई दिक्कत आती है तो धरना-प्रदर्शन करने वालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
वैकल्पिक फसलों की एमएसपी पर खरीद न होने पर और बढ़ेगा धान का रकबा : किसान नेता
बैठक में धान के बजाय वैकल्पिक फसलों को लगाने पर भी लंबी चर्चा हुई। इस पर किसान नेताओं ने साफ कहा कि अगर मंडियों में वैकल्पिक फसलों की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित नहीं होगी तो भविष्य में धान का रकबा और बढ़ जाएगा।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार गिरते भूमिगत जल का हवाला देकर वैकल्पिक फसलों का मसौदा लेकर आई है, लेकिन नरमा पट्टी को छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस बार 40 प्रतिशत रकबे में नरमा नहीं हुआ है जिससे धान का रकबा बढ़ गया है।
पंधेर ने कहा कि विदेश में बासमती की मांग बढ़ी है। बाजारों में बासमती की भरमार है, जिसके चलते किसान बासमती निगम बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इस पर कोई जवाब नहीं है। यही नहीं, सरकार वैकल्पिक फसलों के मुद्दे पर ठीक से काम नहीं कर रही है क्योंकि धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलें बाजारों में आ रही हैं, लेकिन उनकी एमएसपी पर खरीद न होने के कारण कारण किसान धान का रकबा बढ़ा रहे हैं।
2400 रुपये प्रति एकड़ दे सरकार, नहीं जलाएंगे पराली
पंधेर ने कहा कि पराली प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जबकि प्रदूषण फैलाने वाले दूसरे स्रोतों पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर कोई ध्यान नहीं दे रही जिन्होंने किसानों को पराली संभालने के लिए 2400 रुपये प्रति एकड़ देने के निर्देश दिए हैं। सरकार यह पैसा दे, किसान पराली जलाना बंद कर देंगे।
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