Punjab News: 224 KM लंबे नाले में छोड़ा जा रहा फैक्ट्रियों का वेस्ट कृषि के लिए कितना खतरनाक? हाईकोर्ट ने पूछा- पीपीसीबी दें जवाब
पंजाब के लुधियाना (Ludhiana Latest News) के अंतर्गत 225 किलोमीटर लंबे लसारा नाले में बह रहा फैक्ट्रियों का अपशिष्ट कृषि के लिए कितना खतरनाक है ऐसा हाईकोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) से पूछा है। हाईकोर्ट (High Court) ने इस बाबत पीपीसीबी की रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। यह नाला जहरीले पदार्थ डाले जाने के लिए मशहूर है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) से एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, जिसमें यह बताया जाए कि पंजाब के लसारा नाले में छोड़े जाने वाले अपशिष्ट कृषि के लिए हानिकारक हैं या नहीं।
पंजाब के लुधियाना जिले के एक गांव से निकलने वाला 225 किलोमीटर लंबा लसारा नाला जहरीले औद्योगिक अपशिष्टों को ले जाने के लिए बदनाम है।मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने जारी अपने आदेश में कहा कि पीपीसीबी को एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है कि क्या एसटीपी द्वारा छोड़े जाने वाले और लसारा नाले में गिरने वाले अपशिष्ट कृषि उद्देश्यों के लिए हानिकारक हैं या नहीं।
पीठ ने ये आदेश एक मामले की सुनवाई करते हुए पारित किए हैं, जिसमें वह राज्य के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरण प्रदूषण और सीवरेज उपचार संयंत्रों से संबंधित एक साथ सुनवाई कर रही है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर हो चुके हैं तैयार
इस बीच मामले की सुनवाई के दौरान स्थानीय निकाय विभाग, पंजाब के अधिकारी ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर बताया कि रमन मंडी, मलेरकोटला, टप्पा और धनौला को छोड़कर लसारा ड्रेन पर पड़ने वाले अन्य सभी कस्बों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनकर तैयार हो चुके हैं और चालू हो चुके हैं।रमन मंडी के मामले में 49 प्रतिशत सिविल कार्य और 28 प्रतिशत मैकेनिकल कार्य जल्द ही पूरे होने की उम्मीद है, जबकि मलेरकोटला में 95 प्रतिशत सिविल कार्य, 93 प्रतिशत मैकेनिकल कार्य और 92 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल कार्य पूरे हो चुके हैं, जबकि टप्पा में 85 प्रतिशत सिविल कार्य, 70 प्रतिशत मैकेनिकल कार्य और 40 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल कार्य भी लगभग पूरे होने वाले हैं।
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