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Punjab News: सिविल विवाद निपटाने के लिए कानून मशीनरी का हो रहा दुरुपयोग, खतरनाक रूप से बढ़ रहा चलन: हाई कोर्ट

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने एक सिविल मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा कि सिविल विवाद निपटाने के लिए कानून मशीनरी के दुरुपयोग का चलन खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। हाईकोर्ट ने अब हरियाणा पंजाब व चंडीगढ़ की अदालतों को आदेश दिया है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ उपयुक्त समझने पर कानूनी कार्रवाई का आदेश जारी करें।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 06:57 PM (IST)
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सिविल विवाद निपटाने के लिए कानून मशीनरी का हो रहा दुरुपयोग, File Photo
दयानंद शर्मा ,चंडीगढ़।  पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने एक सिविल मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा कि सिविल विवाद निपटाने के लिए कानून मशीनरी के दुरुपयोग का चलन खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। हाईकोर्ट ने अब हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ की अदालतों को आदेश दिया है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ उपयुक्त समझने पर कानूनी कार्रवाई का आदेश जारी करें।

हाईकोर्ट ने ऐसे विवाद का निचली अदालतों में चलने की निंदा की

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जांच एजेंसी अक्सर सिविल मामलों में विभिन्न प्रकार के दबाव में आकर झुक जाती हैं और अभियोजन आरंभ कर देती हैं। मुख्य रूप से सिविल विवाद को दूसरे पक्ष पर समझौते के लिए दबाव बनाने के लिए त्वरित तंत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हाईकोर्ट ने ऐसे विवाद का निचली अदालतों में चलने की निंदा की और कहा कि संवैधानिक न्यायालय को कष्टप्रद अवांछित आपराधिक अभियोजन में फंसे उत्पीड़ित नागरिकों के बचाव में अना पड़ता है।

2016 के मामले को रद करने की याचिका दाखिल की गई थी

कोर्ट ने कहा कि लेनदेन की शुरुआत से बेईमान इरादे की अनुपस्थिति में, अनुबंध या समझौते का उल्लंघन आपराधिक कार्यवाही को जन्म नहीं दे सकता है। जब तक शुरुआत में बेईमानी का इरादा मौजूद न हो, आपराधिक कार्यवाही पूरी तरह से अनुचित है। हाईकोर्ट के जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने चरणजीत शर्मा और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने पंजाब के संगरूर जिले के पुलिस स्टेशन सदर धूरी में धोखाधड़ी और संबंधित आरोपों के लिए 30 नवंबर, 2016 को दर्ज एक एफआईआर को रद करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

हाई कोर्ट ने FIR रद करने का आदेश दिया

4 दिसंबर 2015 को जमीन बेचने का एक समझौता हुआ था और शिकायतकर्ता को अपनी जमीन बेचने के समझौते के अनुसरण में बयाना राशि के रूप में 25 लाख रुपये लिए, लेकिन भूमि पंजीकरण के लिए आगे नहीं आए। हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पहले ही याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले को कानून का दुरुपयोग करार देते हुए एफआईआर रद करने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही न्यायालय ने नागरिकों को कष्टप्रद और अवांछित आपराधिक अभियोजन से बचाने के लिए कुछ निर्देश भी जारी किए हैं

HC ने सभी जिला अदालतों में आदेश की प्रति भेजने का दिया आदेश

यदि ट्रायल कोर्ट सुनवाई के समापन के बाद पाता है कि पक्षों के बीच शामिल विवाद पूरी तरह से सिविल है, शुरू से ही धोखाधड़ी के धोखाधड़ी के इरादे की मूल सामग्री गायब है और एफआईआर यांत्रिक तरीके से दर्ज की गई है तो ट्रायल कोर्ट को शिकायतकर्ता के खिलाफ आईपीसी के तहत कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने आदेश की प्रति सभी जिला अदालतों को भेजने का आदेश दिया है।

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