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Punjab News: शुरू हुई स्वदेश वापसी, विदेश से वापस आकर युवाओं को मिल रही हैं पंजाब में नौकरियां

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज यहां म्युनिस्पल भवन में विभिन्न महकमों के 251 युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे । उन्होंने दावा किया कि अब तक 37934 युवाओं को विभिन्न विभागों में नौकरियां प्रदान की हैं। विभिन्न विभागों के 251 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपने के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी 37934 नियुक्तियां पूरी तरह योग्यता के आधार पर की गयी हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 01 Dec 2023 07:39 PM (IST)
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विदेश से वापस आकर युवाओं को मिल रही हैं पंजाब में नौकरियां, Photo Jagran
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Mann) ने आज यहां म्युनिस्पल भवन में विभिन्न महकमों के 251 युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे । उन्होंने दावा किया कि अब तक 37934 युवाओं को विभिन्न विभागों में नौकरियां प्रदान की हैं। विभिन्न विभागों के 251 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपने के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी 37934 नियुक्तियां पूरी तरह योग्यता के आधार पर की गयी हैं। 

लड़कियां हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं- CM मान

उन्होंने कहा कि ये नियुक्तियां पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर की गई है और इन युवाओं ने अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के बाद ये नौकरियां हासिल की हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हमारी सरकार का पहले दिन से एकमात्र एजेंडा युवाओं को रोजगार देना और उन्हें अधिक अधिकार देना है। लड़कियों को नौकरी के अधिक अवसर मिलने पर खुशी साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को लड़कियों के प्रति अपनी धारणा बदलनी चाहिए क्योंकि लड़कियां हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। 

खराब व्यवस्था के कारण विदेश जा रहे थे लोग

पंजाब की महान और उपजाऊ भूमि को छोड़कर लोगों के विदेश जाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब यह प्रवृत्ति बदल रही है। उन्होंने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि पंजाब में रिवर्स माइग्रेशन (वतन वापसी) का चलन शुरू हो गया है और कई युवा विदेश जाकर पंजाब में सरकारी नौकरियां हासिल कर चुके हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वास्तव में हमारे युवाओं को पंजाब की पवित्र भूमि से बहुत प्यार है, लेकिन पिछले दिनों खराब व्यवस्था से तंग आकर उन्हें विदेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

भगवंत सिंह मान ने मुख्यमंत्री पद को लोकप्रिय जनसेवा बताया

उन्होंने कहा कि अब युवाओं को अपनी पसंदीदा नौकरी करने के अवसर प्रदान किये जा रहे हैं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। मुख्यमंत्री ने पंजाब के खजाने को खाली बताकर उसका अपमान करने वाले नेताओं पर तीखा निशाना साधते हुए कहा कि वास्तव में खजाना कभी खाली नहीं होता, लेकिन नेताओं की मंशा गलत है। ये नेता दोनों हाथों से चाचा-भतीजे, जीजा-साले से जनता का पैसा लूटते थे। भगवंत सिंह मान ने मुख्यमंत्री पद को लोकप्रिय जनसेवा बताते हुए कहा कि यह कुर्सी आराम करने के लिए नहीं है, बल्कि 24 घंटे जनसेवा के लिए समर्पित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पंजाब की जमीनी हकीकत से भली भांति परिचित हैं, जिसके चलते वह पंजाब के हित में तुरंत फैसले लेते हैं। 

कहा- शिअद की स्थिति दयनीय है

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी चेतावनी दी कि वे जमीनी स्थिति को समझे बिना चंडीगढ़ में बैठकर निर्णय न लें क्योंकि हर इलाके की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। मुख्यमंत्री ने शिरोमणि अकाली दल की दयनीय स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि इस पार्टी का जहाज अब डूब चुका है और स्थिति यह है कि सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया तथा हरसिमरत बादल की भी आपस में नहीं बनती है। 

मजीठिया के पूर्वजों ने सिखों पर घोड़ा चोर का कलंक लगाया- सीएम मान

अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के पूर्वजों के पंजाब और सिख विरोधी किरदार का खुलासा करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार को कहा कि बिक्रम मजीठिया के पूर्वजों की लालसा और व्यक्तिवाद ने सिखों के माथे पर घोड़ा चोर का कलंक लगाया है, जिस कारण यह माफी के भी लायक नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 1957 में भारत में मतदान हुये तो उस मौके पर जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अरब मुल्कों के दौरे पर गया था। इस प्रतिनिधिमंडल में बिक्रम सिंह मजीठिया के पूर्वज भी शामिल थे। 

अरब से आए थे अरबी नस्ल के घोड़े

उन्होंने कहा कि अरब मुल्क के एक राजे ने भारतीय फ़ौज के लिए याद के तौर पर अरबी नस्ल के शानदार घोड़े तोहफ़े में दिए थे। यह घोड़े प्रशिक्षण के लिए फ़ौज के प्रशिक्षण केंद्र मेरठ भेजे जाने थे, जहां फौज में शामिल जानवरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। दो महीने बाद अरबी राजे ने घोड़ों की हालत के बारे पता किया तो पता लगा कि वह घोड़े मेरठ में पहुंचे ही नहीं। इसके बाद राजे ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास नाराजगी जाहिर की। 

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर नेहरू ने बिक्रम मजीठिया के पूर्वज से इस्तीफ़ा ले लिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि मजीठिया ख़ानदान ने 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड वाले दिन से अगले दिन इस हत्याकांड के दोषी जनरल डायर को खाना परोसा, जिससे इनकी घटिया सोच का पता लगता है। यहीं बस नहीं, जनरल डायर को सिरोपा भी दिलाया गया और माफी भी दिलाई।

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