Punjab News: शिवसेना की राह पर शिरोमणि अकाली दल, पार्टी में तीखा मतभेद, दो हिस्सों में बंटी
Punjab News शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में लड़ाई उस तरफ बढ़ी नहीं है लेकिन पार्टी ने जिस प्रकार से आठ वरिष्ठ सदस्य को निलंबित किया है उससे पार्टी के नेताओं में डर बैठ गया है कि कहीं ये लोग मिलकर शिरोमणि अकाली दल के दफ्तर और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर कब्जा करने के लिए कार्यवाही शुरू न कर दें।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल क्या महाराष्ट्र की शिवसेना की राह पर चल पड़ा है। पार्टी में जिस प्रकार से तीखा मतभेद नजर आ रहा है उसने पार्टी को सीधे दो हिस्सों में बांट दिया है। शिरोमणि अकाली दल ने जहां पार्टी के सरपरस्त सुखदेव सिंह ढींडसा सहित आठ सीनियर नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है, वहीं निकाले गए नेताओं ने भी नई पार्टी बनाने की बजाए पार्टी में ही रहकर इस पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया है।
यह रास्ता सीधे-सीधे उसी तरफ जाता है जिस तरफ किसी समय शिवसेना गई थी। पार्टी के प्रधान उद्धव ठाकरे से नाराज होकर एकनाथ शिंदे के गुट ने किया था। अकाली दल में भी लगभग स्थितियां उसी प्रकार हो रही हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो पार्टी की राह शिवसेना की तरफ जा रही है। एकनाथ शिंदे के गुट ने दबाव बनाकर पार्टी का चुनाव चिन्ह हासिल कर लिया था।
पार्टी के चुनाव चिन्ह पर कब्जा करने की तैयारी...
हालांकि, शिरोमणि अकाली दल में लड़ाई उस तरफ बढ़ी नहीं है, लेकिन पार्टी ने जिस प्रकार से आठ वरिष्ठ सदस्य, जिनमें सुखदेव सिंह ढींडसा, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जागीर कौर, परमिंदर सिंह ढींडसा, सुरजीत सिंह रखड़ा, गुरप्रताप सिंह वडाला, हरिंदर सिंह चंदूमाजरा पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह भूलेवाला राठां आदि शामिल को निलंबित किया है उससे पार्टी के नेताओं में डर बैठ गया है कि कहीं ये लोग मिलकर शिरोमणि अकाली दल के दफ्तर और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर कब्जा करने के लिए कार्यवाही शुरू न कर दें।काली दल को खामियाजा भुगतना पड़ रहा
बागी अकाली नेताओं के एक सीनियर नेता का कहना है कि पार्टी फिलहाल अपने उस वोट बैंक को एकजुट करने में लगी है जो उससे नाराज होकर घर बैठ गया है या फिर दूसरे दलों में अपनी भूमिका तलाश रहा है। आज इसी गुट की ओर से एक बड़ा सेमीनार करवाकर पंथक राजनीति की राह में आ रही बाधाओं पर चर्चा की।खासतौर पर श्री अकाल तख्त साहिब की पंथक राजनीति में क्या भूमिका है और श्री अकाल तख्त साहिब को किस तरह राजनीति के लिए कमजोर करने की कोशिशें की गई थीं, जिसका आज अकाली दल को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
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