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पंजाब में हथियार गायब होने पर हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, स्टेटस रिपोर्ट के लिए दिया आखिरी मौका

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य शस्त्रागार से गायब हुए 10 में से 9 हथियारों को बरामद करने में विफल रहने पर पंजाब पुलिस पर असंतोष व्यक्त किया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य और अन्य प्रतिवादियों द्वारा हथियार बरामदगी सुनिश्चित करने का वादा किए जाने के कई महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक केवल एक हथियार ही बरामद किया जा सका है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 13 Sep 2024 09:21 PM (IST)
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पंजाब में शस्त्रागार से गायब हथियारों की बरामदगी में विफल रही पुलिस। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो , चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद राज्य शस्त्रागार से गायब हुए 10 में से नौ हथियारों को बरामद करने में विफल रहने पर पंजाब पुलिस के प्रति असंतोष व्यक्त किया है।

जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि राज्य और अन्य प्रतिवादियों द्वारा हथियार बरामदगी सुनिश्चित करने का वादा किए जाने के कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक केवल एक हथियार ही बरामद किया जा सका है।जस्टिस भारद्वाज ने कि अदालत को शुरू में 14 हथियारों के गायब होने की जानकारी दी गई थी, लेकिन बाद में कुछ बरामदगी के बाद यह संख्या घटाकर 10 कर दी गई।

राज्य शस्त्रागार से गायब हुए 10 में से नौ हथियार बरामद करने में पुलिस विफल रही। सुरक्षा में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि वह विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्यों की निष्क्रियता के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए इच्छुक है।

हालांकि, सरकारी वकील द्वारा शेष गायब हथियारों पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अंतिम अवसर का अनुरोध किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 12 नवंबर तक स्थगित करते हुए मामले में एक नई स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया। जस्टिस भारद्वाज ने एक सुनवाई पर पर कहा था वर्तमान मामला, मामलों की जांच की खेदजनक स्थिति को दर्शाता है।

कोर्ट ने तरनतारन जिले की राज्य शस्त्रागार से 0.30 एम1 कार्बाइन के गायब होने पर हैरानी जताते कहा कि तरनतारन पुलिस की ओर से दायर की गई रिपोर्ट केवल यह दर्शाती है कि विचाराधीन हथियार मूल रूप से एक सूबेदार मेजर मालवा सिंह पुत्र ज्वाला सिंह को दिया गया था, जिसे निर्विवाद रूप से शहर तरनतारन पुलिस स्टेशन में जमा किया गया था।

आरोप यह था कि किसी बख्शीश सिंह ने उक्त हथियार को ले लिया था। इसकी रिपोर्ट भी दायर की गई है, लेकिन विचाराधीन हथियार बरामद नहीं हुआ है। निरपवाद रूप से, अधिकारी हथियार की बरामदगी के लिए पर्याप्त और उचित कदम उठाने में विफल रहे हैं।

6 जनवरी, 1965 को वरवाल, खडूर साहिब निवासी एक सूबेदार मेजर मालवा सिंह को सीओडी जबलपुर द्वारा .30एम1 कार्बाइन जारी किया गया था। 18 जून 1984 को सूबेदार मेजर मालवा सिंह ने कारबाइन शहर तरनतारन थाना में जमा करा दी। 11 जुलाई 1985 को सूबेदार मेजर मालवा सिंह का निधन हो गया।

याचिकाकर्ता मृतक पूर्व सैनिक का करीबी रिश्तेदार था और इसलिए उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार ने याचिकाकर्ता को अपने नाम हथियार हस्तांतरण के लिए अधिकृत किया। हालांकि, पूछताछ के बाद पता चला कि उक्त हथियार पुलिस के पास से गायब है। पूछताछ में पता चला कि पुलिस ने वह कारबाइन बख्शीश सिंह को जारी की थी।

हालांकि, अब हथियार न तो पुलिस के पास उपलब्ध है और न ही बख्शीश सिंह के पास, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने पहले ही पुलिस को कारबाइन वापस कर दी थी। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपने रिश्तेदार दिवंगत सूबेदार मेजर मालवा सिंह के स्वामित्व वाली कारबाइन को कब्जे में लेने का निर्देश देने की मांग की है।

इस याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने डीजीपी पंजाब को राज्य के सभी थानों के शस्त्रागार से जमा व गायब हथियारों की जांच करने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर डीजीपी ने एक एसआईटी का गठन किया था।

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