Punjab Politics: पंजाब की राजनीति में पार्टी बदलने से कुछ ने बनाई पहचान, कुछ हो गए गुमनाम
Punjab Politics पंजाब की राजनीति में नेताओं का दलबदल का क्रम जारी है। ऐसे में पंजाब से जुड़े कुछ किस्से सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी मेंपंजाब के दिग्गज नेताओं में शुमार वीर दविंदर सिंह का भी एक किस्सा है। बात उन दिनों की है जब शिरोमणि अकाली दलकांग्रेस बसपा पीपीपी आदि पार्टियों से होते हुए आप में संभावनाएं तलाश रहे थे।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। प्रखर वक्ता और संसदीय मामलों के पुख्ता जानकार वीर दविंदर सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनसे संबंधित एक किस्सा बहुत मजेदार है जो इस विषय को समझने में मदद करेगा। वीर दविंदर सिंह उन दिनों शिरोमणि अकाली दल,कांग्रेस, बसपा, पीपीपी आदि पार्टियों से होते हुए आप में संभावनाएं तलाश रहे थे।
किस पार्टी पर लगे दांव
एक दिन उनकी पुत्रवधू ने घर की सफाई करते हुए स्टोर से शिअद, बसपा, पीपीपी कांग्रेस पार्टियों के झंडे, गले में डालने वाले पटके,कमीजों पर लगाए जाने वाले चुनाव चिन्हों के बैच और अन्य सामान आदि निकाला और उनसे पूछा, पापा जी किस पार्टी का सामान रखना है। वीर दविंदर ने हंसकर कहा, अभी सभी को पडे़ रहने दो, पता नहीं किस पार्टी में दांव लग जाए।
आकांक्षाएं रह गईं अधूरी
वीर दविंदर सिंह जैसा प्रखर वक्ता जो विधानसभा में होने वाली बहस में हो या रैलियों में या टीवी शो में... अपनी वाकपट़ुता से सभी को कील लेता था। लेकिन वह कभी भी मुख्यधारा की राजनीति में ऊंचे ओहदे तक नहीं पहुंच सके। उनमें जितनी क्षमता थी , उससे कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षा थी। एक से दूसरी, दूसरी से तीसरी पार्टी में जाकर उन्होंने अपनी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करना चाहा लेकिन खुद पूरे हो गए , आकांक्षाएं अधूरी रह गईं।वीर दविंदर अकेले ऐसे नहीं हैं। आवाजे-कौम कहे जाने वाले जगमीत बराड़ आज कहां हैं ? यह पता करना पड़ता है। 1992 में जब वह संसद में पहुंचे और उन्होंने अपना पहला भाषण पंजाब की समस्याओं पर दिया तो भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी अपनी सीट से उठकर उन्हें बधाई देने गए।कांग्रेस से कांग्रेस तिवारी , फिर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल में गए। सुखवीर बादल जैसे सशक्त नेता को हराने का मौका भी मिला लेकिन उसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक जमीन ऐसी गंवाई कि आज भी उसे तलाशते फिर रहे हैं।
इसी कड़ी में एक नाम मनप्रीत बादल का भी है। किसी समय अकाली दल में एक बड़ा नाम था। पार्टी ने उन्हें वित्तमंत्री भी बनाया लेकिन मुख्यमंत्री बनने की लालसा ने उनको भी पटरी से उतार दिया। अपनी पीपल्स पार्टी आफ पंजाब बनाई, फिर कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए लेकिन आज कहां हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।