चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा के लिए जमीन की अदला-बदली के प्रस्ताव पर पंजाब में राजनीति गरमा गई है। शिअद व पंजाब के भाजपा नेताओं ने इसका विरोध जताया है। शिअद ने कहा कि राज्यपाल जमीन बदल प्रस्ताव को अस्वीकार करें।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 21 Nov 2022 02:04 PM (IST)
जेएनएन, चंडीगढ़। गत सप्ताह हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ के प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की। इस मुलाकात में गुप्ता ने राज्यपाल को चंडीगढ़ में हरियाणा का अलग विधानसभा भवन बनाने के लिए जमीन की अदला-बदली के प्रस्ताव पर चर्चा की। इसके बाद से पंजाब में राजनीति गरमा गई है।
चंडीगढ़ में हरियाणा को विधानसभा के लिए अलग जमीन दिए जाने के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मालविंदर सिंह कंग का कहना है कि हरियाणा चाहे तो पंचकूला या करनाल में अपनी विधानसभा बना सकता है। चंडीगढ़ पर केवल पंजाब का अधिकार है। हरियाणा को चंडीगढ़ में जमीन देने का सवाल ही नहीं।
शिरोमणि अकाली दल के नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम मजीठिया ने बनवारी लाल पुरोहित से इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह प्रस्ताव संवैधानिक औचित्य के खिलाफ है। वहीं, भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने इस मांग को तर्कहीन व बेबुनियाद करार दिया है।
अकाली नेता ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न हिस्सा है और हरियाणा सरकार मूल राज्य पंजाब की सहमति के बिना जमीन की अदला-बदली के लिए आवेदन नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि ‘अगर इस तरह के अनुरोधों पर विचार किया जाता है तो इससे अराजकता पैदा होगी, क्योंकि पंजाब और हिमाचल सरकार को जमीन की अदला-बदली के लिए अनुरोध करने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि यह आवेदन संविधान की धारा 3 के खिलाफ भी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल संसद ही राष्ट्रपति की सहमति से किसी राज्य की सीमाओं को बदल सकती है’।
अकाली नेता ने राज्यपाल को यह भी अवगत कराया कि यह मुद्दा पंजाबियों की भावनाओं से जुड़ा है, जो सतलुज यमुना लिंक (एसवाइएल) मामले की तरह ही भड़क सकता है। पंजाब संघर्ष के दौर से गुजरा है और ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे क्षेत्र का माहौल खराब हो।
उन्होंने कहा कि हरियाणा को लगता है कि अलग विधानसभा बनाकर वह चंडीगढ़ में अपना पक्ष मजबूत कर लेगा, लेकिन वह आग से खेल रहा है। अकाली दल पंजाबियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस कपटपूर्ण एजेंडे का सख्ती से विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है जो इस प्रस्ताव को असहनीय और अस्वीकार्य पाते हैं।वहीं, जाखड़ ने कहा कि पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ पर पूर्ण स्वामित्व को लेकर किसी के मन में कभी कोई संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने हरियाणा और पंजाब दोनों के मुख्यमंत्रियों से दरियादिली दिखाने का आग्रह किया और कहा कि आपस में तय करें कि गैर-मौजूद मुद्दे को न उठाएं और बारी-बारी से हमारी ऐतिहासिक विधानसभा का उपयोग करें।
चंडीगढ़ में राज्य विधानसभा के लिए अलग जगह की हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष की मांग का जिक्र करते हुए जाखड़ ने दोनों राज्यों के नेताओं को आगाह किया कि वे इस अति संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी प्रकार की गैरजरूरी बयानबाजी से बचें, जिसका निहित स्वार्थों द्वारा राज्य में कलह भड़काने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। उन हो ने इस मांग को पूरी तरह से तर्कहीन और बेबुनियाद करार दिया जिसे उठाया ही नहीं जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि भगवंत मान जी ने पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में अपने हरियाणा समकक्ष की अलग जगह की मांग का जवाब देते हुए ऐसी ही मांग क्यों उठाई थी। भाजपा नेता ने कहा कि पंजाब विधानसभा के लिए अलग जगह की मांग करके पंजाब के मुख्यमंत्री ने न केवल पंजाब के मुद्दों के बारे में राजनीतिक अंतर्दृष्टि की गंभीर कमी का प्रदर्शन किया बल्कि हरियाणा की व्यर्थ मांग को भी बल दिया।
भाजपा नेता ने कहा कि दोनों राज्यों की विधानसभाओं की बैठकों की संख्या निरंतर रूप से कम होती जा रही हैं। पिछले पांच सालों के दौरान दोनों विधानसभाओं की औसतन सालाना बैठक मात्र 15-16 दिन ही हुई है। इसके साथ ही हरियाणा विधानसभा के स्पीकर द्वारा कार्यालय की जगह की कमी के मुद्दे पर जाखड़ ने सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हेरिटेज बिल्डिंग विधानसभा को दोनों राज्य बारी-बारी से क्यों नहीं चला सकते। ऐसा करने से दोनों राज्यों को पूरी इमारत उपलब्ध हो सकती है। पहले 15 दिन एक राज्य इसका इस्तेमाल करें और फिर अगले 15 दिन दूसरा राज्य।
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