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Punjab News:'दिल्ली के स्माग के पीछे पंजाब की पराली का धुआं नहीं', NGT सदस्य ने वैज्ञानिक सबूत न होने का किया दावा

पंजाब में पराली जलाने के मामले को लेकर एनजीटी सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा कि पंजाब पर उंगली उठाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हैं। राजनेता व प्राकृतिक खेती के समर्थक बोले कि पंजाब की पराली पर दशकों तक केवल राजनीति हुई। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए गहन शोध होना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Published: Wed, 03 Jul 2024 11:18 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2024 11:18 PM (IST)
NGT सदस्य ने पंजाब में पराली जलाने के वैज्ञानिक सबूत न होने का किया दावा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लगभग एक दशक से दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब को दोषी ठहराया जाता रहा है। बताया जाता रहा है कि नवंबर के महीने में पंजाब में पराली (धान के अवशेष) जलाए जाने से देश की राजधानी गैस चैंबर बन जाती है। इस पर खूब राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप होते रहे हैं, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि इस बात के कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं कि पंजाब में पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है।

उन्होंने बीते दिनों 'पर्यावरण अनुकूल धान की खेती पर सम्मेलन' में कहा कि इस दावे को स्थापित करने के लिए न तो कोई वैज्ञानिक अध्ययन है और न ही यह साबित करना व्यावहारिक है कि पंजाब से निकलने वाला धुआं दिल्ली में प्रदूषण पैदा कर रहा है।

वायु प्रदूषण के कारणों के लिए हो गहन शोध

उन्होंने सलाह दी कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए गहन शोध होना चाहिए। जस्टिस अग्रवाल के बयान के बाद पंजाब के राजनीतिक दल और पर्यावरण प्रेमी भी बहस में कूद पड़े हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि इतने वर्षों तक दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रदूषण के लिए पंजाब के किसानों को दोषी ठहराती रही।

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पराली जलाने से होती उर्वरा शक्ति कम

इसके बावजूद हमें देखना होगा कि पराली जलने से होने वाले प्रदूषण का प्रभाव हरेक पंजाबी पर पड़ता है। धरती की उर्वरा शक्ति कम होती है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूलका ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को तो घेरा ही, पंजाब सरकार को भी सलाह दी कि एनजीटी के बचाव के बाद वह निश्चित होकर न बैठ जाए अपितु अपने राज्य में पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाए।

पंजाब सरकार कराए वैज्ञानिक जांच

पराली के धुएं के प्रभाव पर गांव स्तर पर सर्वे कराए पंजाब सरकार चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में फूलका ने कहा कि अभी तक इस पर केवल राजनीति हुई है। पंजाब सरकार ने भी इस संबंध में वैज्ञानिक जांच कराने पर विचार नहीं किया। राज्य सरकार को किसी एजेंसी की सेवाएं लेकर वैज्ञानिक जांच करानी चाहिए।

पराली के धुएं से बच्चों व गांववासियों को बताएं नुकसान

पंजाब सरकार को तो गांव स्तर पर सर्वे कराना चाहिए कि पराली की धुएं से बच्चों व गांववासियों पर क्या असर पड़ रहा है। भले ही पराली का धुआं दिल्ली को प्रदूषित नहीं करे पर हमारे गांवों के वातावरण को तो प्रदूषित कर रहा है। सरकार यदि किसानों को रिसर्च के साथ बताए कि पराली के धुएं से उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा हैं तो निश्चित रूप से किसान इसे समझेंगे।

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