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Punjab University: साझे पंजाब की पहली यूनिवर्सिटी का है अनोखा इतिहास, जानें कैसे लाहौर से पहुंची चंडीगढ़ Chandigarh News

पंजाब यूनिवर्सिटी की स्थापना 14 अक्टूबर 1882 में लाहौर में हुई थी। बंटवारे के बाद यह हिमाचल प्रदेश हरियाणा और पंजाब के जालंधर होते हुए चंडीगढ पहुंची।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 09:02 AM (IST)
Punjab University: साझे पंजाब की पहली यूनिवर्सिटी का है अनोखा इतिहास, जानें कैसे लाहौर से पहुंची चंडीगढ़ Chandigarh News

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। देश के देश-दुनिया के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में शुमार ‘पंजाब यूनिवर्सिटी’ के चंडीगढ़ पहुंचने की कहानी बहुत रोचक है। इसकी स्थापना 14 अक्टूबर, 1882 में लाहौर में हुई थी। फिर, देश का बंटवारा हो गया। चंडीगढ़ में शिफ्ट होने से पहले यह कई जगह बसी और उजड़ी। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के जालंधर होते हुए चंडीगढ़ पहुंची और इसे सेक्टर 14 में स्थापित किया गया। आज अनेक नेताओं व अभिनेताओं की नर्सरी सिद्ध हुई इस यूनिवर्सिटी से 196 कॉलेज जुड़े हैं।

इसकी इमारतों का निर्माण वर्ष 1958 से 60 के बीच शहर के निर्माता ली कार्बूजिए ने सेक्टर-14 में किया था। 136 साल में पीयू ने टीचिंग और रिसर्च कार्यों में बेहतरीन कार्य कर खुद को विश्व भर में अग्रणी संस्थान के तौर पर स्थापित किया है। इस समय पीयू में 78 टीचिंग डिपार्टमेंट है। इनमें 3000 की टीचिंग और 5000 नॉन टीचिंग फैकल्टी काम कर रही है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी का विस्तार सेक्टर-14 से 25 तक हो गया है। सेक्टर-25 में यूआइईटी, डेंटल, पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट स्थापित हुए हैं। यूनिवर्सिटी के अधीन 196 सरकारी और एडिड कॉलेज चल रहे है जिनमें तीन लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। अकेले पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में करीब तीस हजार स्टूडेंट्स अध्ययनरत हैं।

विशेष हैं इसकी इमारतें

सिटी ब्यूटीफुल की शान पंजाब यूनिवर्सिटी की विभिन्न इमारतें अपने विशेष डिजाइन के कारण भी आकर्षण का केंद्र हैैं। यहां पर बना स्टूडेंट्स सेंटर गोलाकार है। इमारत के अलावा यहां के कैफेटेरिया के व्यंजन स्टूडेंट्स और आम लोगों को खूब लुभाते हैं। वहीं, एसी जोशी लाइब्रेरी का निर्माण कार्य भी बेहतरीन है। गर्मियों में यहां पर धूप न के बराबर आती है लेकिन सर्दियों में सीधी धूप आती है।

गांधी भवन की इमारत का विशेष डिजाइन ला कारबूजियर के भाई पियरे जीनरेट ने तैयार किया था। इमारत के अंदर गांधी जी से संबंधित सैकड़ों किताबों का संग्रह भी है। इसके अलावा पीयू में चार संग्राहलय भी हैं।
 

अधिकांश काम ऑनलाइन

पीयू के ज्यादातर काम ऑनलाइन होते हैं। स्टूडेंट्स के रोल नंबर से लेकर डीएमसी, प्रोविजनल डिग्री देना, डेटशीट को एसएमएस सर्विस के जरिए स्टूडेंट्स तक पहुंचाना और हर शिकायत का जबाव एग्जामिनेशन कंट्रोलर द्वारा स्टूडेंट्स तक पहुंचाने वाली पीयू देश की पहली गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी है।

ये हस्तियां पढ़ी यहां 

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सुषमा स्वराज, राजीव प्रताप रूड़ी, किरण खेर, किरण बेदी, पवन बंसल सहित कई नेता यहां पढ़े हैं। नेताओं के अलावा अभिनेता व कई कलाकार भी यहां से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैैं। अभिनेता अनुुपम खेर, संगीतकार इरशाद कामिल और सतिंदर सरताज इन में शामिल हैं।

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