पंजाब प्रधान व नेता प्रतिपक्ष पर फैसला इसी सप्ताह कर सकती है कांग्रेस, पढ़ें कौन-कौन नेता हैं दौड़ में
पंजाब में कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष पर फैसला नहीं कर पाई है। राज्य में कांग्रेस प्रधान का चयन भी नहीं हो पाया है। इस सप्ताह पार्टी इन दोनों पदों पर फैसला कर सकती है। दोनों पदों की दौड़ में कई नेता शामिल हैं।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 03 Apr 2022 08:20 PM (IST)
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस का नया कप्तान कौन होगा। इसे लेकर इंतजार की घड़ियां इस सप्ताह खत्म हो सकती हैं। माना जा रहा है कि अगले तीन से चार दिनों में कांग्रेस विधायक दल का नेता और कांग्रेस के प्रदेश प्रधान को लेकर अंतिम निर्णय ले लेगी।
कांग्रेस के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं है, क्योंकि जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी देश में कांग्रेस का विकल्प बनकर उभर रही है। ऐसे में कांग्रेस को भी यह चिंता सताने लगी है कि अगर उसे अपने भविष्य को संवारना है तो सोच समझकर कदम उठाने होंगे। यही कारण है कि तमाम दबाव के बावजूद कांग्रेस अभी तक फैसला नहीं ले पाई है। पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर कांग्रेस को पुन: सत्ता में आने की उम्मीद थी, लेकिन अपनी गलतियां ही कांग्रेस पर भारी पड़ी।
वहीं, प्रदेश प्रधान को लेकर लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रहे नवजोत सिंह सिद्धू पर भी पार्टी की नजर है। हालांकि सिद्धू के शक्ति प्रदर्शन में 10 से 12 वहीं चेहरे हैं, जो कि हरेक बैठक में उनके साथ मौजूद रहते हैं। इसके बावजूद पार्टी की नजर सिद्धू पर है, जबकि पार्टी पर यह भी दबाव है कि प्रदेश प्रधान टकसाली कांग्रेसी होना चाहिए।
अहम पहलू यह है कि तीन विधायक नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रधान की दौड़ में शामिल हैं, जिसमें प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और परगट सिंह हैं। हालांकि बाजवा की नजर नेता प्रतिपक्ष बनने पर हैं, जबकि सुखजिंदर रंधावा प्रदेश प्रधान बनने में ज्यादा रुचि रखते हैं। परगट सिंह दोनों ही भूमिका में खुद को फिट मानते हैं।
इनके अलावा अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और तीन बार के सांसद रवनीत बिट्टू भी प्रदेश प्रधान की दौड़ में शामिल हैं। चार बार विधायक, एक बार सांसद और एक बार राज्य सभा सदस्य होने के अनुभव रखने वाले बाजवा अपनी वरिष्ठता की लंबी लिस्ट लेकर नेता प्रतिपक्ष बनने की दौड़ में आगे दिखाई दे रहे हैं।
वहीं, विधानसभा में दो मौकों पर जिस प्रकार से बाजवा ने अपनेआप को प्रस्तुत किया। वह भी उनके पक्ष में जा रहा है। एक बार बाजवा ने मुख्यमंत्री से भगत सिंह और डा. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने के प्रस्ताव में संशोधन करवाकर महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा लगवाने को भी जुड़वाया। दूसरा प्रतिमा विधान सभा में नहीं लग सकती, क्योंकि यूनेस्को ने विधानसभा को वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दिया हुआ है, को लेकर मुख्यमंत्री की खिंचाई की।
परगट सिंह भी लगातार ट्वीटर पर सरकार को घेर कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए एक चिंता यह भी है प्रताप सिंह बाजवा व सुखजिंदर सिंह रंधावा में से किसी एक को ही चुनना होगा, क्योंकि दोनों ही माझा क्षेत्र से आते हैं। अगर एक को प्रदेश की कमान और एक को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया तो उससे मालवा और दोआबा के नेताओं पर अच्छा असर नहीं पड़ेगा। पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्र बताते हैं कि प्रदेश प्रधान और नेता प्रतिपक्ष का चयन करने में अब कांग्रेस ज्यादा देर नहीं लगाने वाली है।
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