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Lok Sabha Election 2024: राजनीति के ट्रैक पर अफसरशाहों की दौड़, भाजपा-कांग्रेस से लेकर AAP और अकाली दल भी इस रेस में शामिल

बीते कुछ सालों में भारतीय राजनीति बदली है और यह बदलाव पॉलिटिक्स में अफसरशाहों या नौकरशाहों का आने के रूप में है। पहले भी अधिकारी राजनीति में आते रहे हैं। लेकिन अब बड़ी संख्या में आ रहे हैं। फिर चाहे वो दल कोई भी हो। खासकर पंजाब की राजनीति में आईएएस आईपीएस और पीसीएस अधिकारी समय-समय पर अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 21 Mar 2024 09:18 AM (IST)
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Punjab Politics: राजनीति के ट्रैक पर अफसरशाहों की दौड़। फाइल फोटो
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। कई सारे अफसरशाहों की नेता बनकर जनता की सेवा करने की हसरत दिल में होती है। ऐसे में जब नौकरी करते-करते वे ऊब जाते हैं या सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो वह किसी न किसी पार्टी का सहारा ढूंढ़ते हैं। प्रदेश में भी अफसरशाही व राजनीति का पुराना रिश्ता है। पंजाब की राजनीति में आईएएस, आईपीएस, पीसीएस या पीपीएस अधिकारी किस्मत आजमाते रहे हैं।

राजनीति की फिसलन भरी सड़क पर अफसरशाहों का ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं तो बेहद खराब भी नहीं रहा है। तरनजीत संधू पहले ऐसे अफसरशाह हैं जो भारतीय विदेश सेवा से राजनीति में आए हैं। संधू को लेकर स्पष्ट है कि वह अमृतसर (Amritsar Seat) से भाजपा का चेहरा बनेंगे। हालांकि पिछले एक दशक के करीब के समय को देखें तो एक दर्जन से ज्यादा अफसरशाह राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।

लेकिन सबसे सफल भाजपा के सोम प्रकाश (रिटायर्ड आईएएस) ही रहे। सोमप्रकाश न सिर्फ दो बार विधायक बने बल्कि केंद्रीय राज्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। पंजाब की चारों ही राजनीतिक पार्टियां अफसरशाही पर भरोसा करती रही हैं। सबसे अधिक भरोसा शिअद (Shiromani Akali Dal) ने किया है। इसमें सबसे अधिक अफसर शामिल हुए हैं। हालांकि सोमप्रकाश को छोड़कर प्रदेश में कोई भी अफसरशाह बड़ा चेहरा नहीं बन पाया है।

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शिरोमणि अकाली दल

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने 2012 के बाद से अभी तक चार आईएएस (IAS) और एक सेवानिवृत्त जज को चुनाव मैदान में उतारा है। शिअद का प्रयोग खासा सफल नहीं रहा। जस्टिस निर्मल सिंह और पूर्व आईएएस अधिकारी एसआर कलेर ही चुनाव जीत सके। पूर्व डीजीपी परमदीप सिंह गिल, आईएएस कैप्टन तेजिंदर पाल सिंह सिद्धू, दरबारा सिंह गुरु जैसे अधिकारी राजनीति के मैदान पर विफल साबित हुआ।

भारतीय जनता पार्टी

भाजपा (BJP) ने भी दो आईएएस अधिकारी सोम प्रकाश और जगमोहन सिंह राजू पर दांव खेला। सोम प्रकाश दो बार विधायक बने तो एक बार होशियारपुर से सांसद। वहीं, राजू अपना पहला विधानसभा चुनाव हार गए। अब भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त हुए तरनजीत सिंह संधू (Taranjit Singh Sandhu) भी भाजपा में शामिल हुए। उन्हें पार्टी अमृतसर से उम्मीदवार बना सकती है लेकिन अभी तक उनके नाम की घोषणा नहीं की गई है।

कांग्रेस

कांग्रेस (Congress) में नौकरशाहों का सबसे अच्छा ट्रैक रिकार्ड रहा है। 2017 से अभी तक कांग्रेस ने तीन नौकरशाह को मैदान में उतारा। इनका रिजल्ट 100 फीसद रहा। पूर्व आईएएस डा. अमर सिंह फतेहगढ़ से सांसद बने। 2017 में कुलदीप वैद्य जीते। हालांकि 2022 में हार गए। फगवाड़ा से पूर्व आईएएस बलविंदर सिंह 2019 में उपचुनाव और 2022 का विधान सभा चुनाव जीते।

आम आदमी पार्टी

आप (AAP) ने भी एक आईपीएस (IPS) और एक पीपीएस अधिकारी (PCS) पर दांव खेला। सेवानिवृत्त आईपीएस कुंवर विजय प्रताप विधायक बने तो पीपीएस अधिकारी बलकार सिंह वर्तमान में पंजाब में कैबिनेट मंत्री है।

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