सिख दंगों के घाव भरने के लिए 24 घंटे में तीन बार स्वर्ण मंदिर में नतमस्तक हुए राहुल, सियासत का एक शब्द...
माना जा रहा है कि राहुल गांधी लोक सभा चुनाव में जाने से पहले उस दूरी को मिटाना चाहते हैं। क्योंकि भारत जोड़ों यात्रा को दौरान राहुल ज्यादातर समय पगड़ी में दिखाई दिए थे। अहम बात यह है कि गांधी परिवार और सिखों के बीच की दूरी को मिलाने की कोशिश में राहुल ने पंजाब के किसी भी नेता का सहारा नहीं लिया।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 04 Oct 2023 05:30 AM (IST)
कैलाश नाथ, चंडीगढ़: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 1984 के घाव को भरने के लिए 24 घंटे में तीन बार श्री हरमिंदर साहिब में नतमस्तक हुए। राहुल ने इस दौरान न सिर्फ झूठे बर्तन से लेकर सब्जी छीलने और लंगर परोसने की सेवा की बल्कि किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अपने पास तक नहीं फटकने दिया।
दो दिन के दौरान राहुल ने एक भी राजनीतिक शब्द बोले बगैर सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब में अपनी आस्था का संदेश दिया। यह पहला मौका नहीं था जब राहुल दरबार साहिब में गए हो। 10 जनवरी को भी राहुल श्री हरमिंदर साहिब गए थे लेकिन तब वह पंजाब में भारत जोड़ों यात्रा पर निकले हुए थे।
यह पहला मौका है जब राहुल बगैर किसी राजनीतिक समारोह के अमृतसर पहुंचे और श्री हरमिंदर साहिब में उन्होंने सेवा की। जनवरी 2023 में जब राहुल गांधी पंजाब में भारत जोड़ों यात्रा निकाल रहे थे तब ही उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बाणी में खासी रुचि दिखाई थी।
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कांग्रेस के नेता भले ही राहुल की अमृतसर यात्रा को पूर्ण रूप से धार्मिक बता रहे हो लेकिन यह फेरी भी तब हुई है जब कांग्रेस आईएनडीआईए के गठन में मुख्य भूमिका निभा रही है और पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चा है।6 जून 1984 को अकाल तख्त को टैंक द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद भले ही पंजाब में कांग्रेस ने 3 बार अपनी सरकार बनाई हो और लोक सभा चुनाव में भी कांग्रेस के सांसद जीत कर आते रहे हो लेकिन सिखों और गांधी परिवार के बीच हमेशा से ही एक दूरी रही है।
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