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रेलवे का एंटी फाग डिवाइस विफल, चंडीगढ़ से निर्धारित समय से नहीं हो रहा ट्रेनों का संचालन

भारतीय रेलवे ने एंटी फाग डिवाइस को यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों में लगाया था। मगर इस डिवाइस को लगाने से धुंध के दौरान ट्रेनों की रफ्तार पर कोई भी असर नहीं दिख रहा है। ट्रेनों के लेट हाेने का सिलसिला अभी भी जारी है।

By Rohit KumarEdited By: Updated: Thu, 17 Dec 2020 02:42 PM (IST)
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ट्रेनों में लगाए गए एंटी फाग डिवाइस बिल्कुल विफल साबित हो रहे है।

चंडीगढ़, वैभव शर्मा। रेलवे के अंबाला मंडल ने कोहरे से निपटने के लिए ट्रेनों में एंटी फाग डिवाइस लगाए थे। इसके लगने के बाद अंबाला मंडल ने बड़े-बड़े दावें किए थे कि अब ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगेगी। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। ट्रेनों में लगे एंटी फाग डिवाइस बिल्कुल विफल साबित हो रहे है। इसका सबूत इसी बात से मिल रहा है कि ट्रेनों के लेट हाेने का सिलसिला अभी भी जारी है।

हालांकि कोरोना के चलते चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से ज्यादा ट्रेनों का संचालन नहीं हो रहा है लेकिन जो ट्रेनें चल रही है, वो भी अपने निर्धारित समय से काफी देरी से आ रही है। यही सिलसिला अंबाला रेलवे स्टेशन पर भी देखने को मिल रहा है। एंटी फाग डिवाइस को यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों में लगाया गया था, मगर एंटी फाग डिवाइस का ट्रेनों की रफ्तार पर कोई भी असर नहीं दिख रहा है।

सिग्नलिंग सिस्टम को किया गया था अपग्रेड

रेलवे बोर्ड द्वारा वर्ष 2017-18 में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर बने सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड किया गया था ताकि कोहरे के समय में ट्रेनों को आसानी से सिग्नल मिल सके। लेकिन इस अपग्रेडिंग का भी ट्रेनों को कोई फायदा नहीं मिला है। आलम यह है कि चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से अभी जिन ट्रेनों का संचालन हो रहा है, वो सिग्नल न मिलने के कारण समय से नहीं चल रही है।

जीपीएस सिस्टम पर करता है एंटी फाग डिवाइस काम

एंटी फाग डिवाइस जीपीएस सिस्टम पर कार्य करता है। इसको कार्य करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है, ऐसे में जब ट्रेनें ग्रामीण इलाको से होकर गुजरती है तो वहां पर सिग्नल नहीं आता है। इसकी वजह से एंटी फाग डिवाइस काम नहीं करता है। वहीं, अंबाला मंडल ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली लगभग सभी ट्रेनों में एंटी फाग सिस्टम लगाए थे ताकि ट्रेन लेट और रद न हो सके।

एक डिवाइस पर आया था लगभग तीन लाख का खर्च

रेलवे ने नार्थ जोन से चलने वाली ट्रेनों में एंटी फाग डिवाइस लगाया था। इसमें अंबाला मंडल भी शामिल था। एक डिवाइस लगाने में रेलवे ने करीब तीन लाख रुपए खर्च किए थे। यह डिवाइस करीब 100 से ज्यादा ट्रेनों में लगाया था। रेलवे ने करीब करोड़ों रुपए इन डिवाइसिस को लगाने के लिए खर्च किए है।

डिवाइस का हुआ था ट्रायल

डिवाइस को ट्रेनों में लगाने से पहले कई बार इसका ट्रायल भी किया गया था। ट्रायल में सफल होने के बाद ही इस डिवाइस को ट्रेनों में लगाया था। ऐसे में इस डिवाइस के फेल होने का जिम्मेदार कौन है, यह सवाल सबके जहन में रहेगा।

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