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पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को हाई कोर्ट से राहत जारी, सरकार ने जवाब दायर किया; वकील ने बहस के लिए मांगा समय

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल की अंतरिम जमानत के आदेश को 15 फरवरी तक जारी रखा है। मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से तीन अलग मामलों पर जवाब दायर किया। इस पर बादल के वकील ने बहस के लिए कुछ समय देने की मांग की।

By Inderpreet Singh Edited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 08 Dec 2023 09:47 PM (IST)
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पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को हाई कोर्ट से राहत जारी, File Photo
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल की अंतरिम जमानत के आदेश को 15 फरवरी तक जारी रखा है। मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से तीन अलग मामलों पर जवाब दायर किया। इस पर बादल के वकील ने बहस के लिए कुछ समय देने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने अंतरिम राहत का आदेश जारी रखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

बादल के खिलाफ 24 सितंबर को पुलिस स्टेशन विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा में आईपीसी के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईटी अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद HC पहुंचे थे बादल

हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल ने मनप्रीत द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। बठिंडा की एक स्थानीय अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ नेता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मनप्रीत ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एफआईआर उस श्रृंखला की एक कड़ी है, जिसे पंजाब की मौजूदा आप सरकार उन सभी लोगों को जेल में डालने की की कोशिश कर रही है, चाहे वह राजनीतिक नेता हों, उनके साथ करीबी तौर पर जुड़े लोग हों या आम आदमी हों जो किसी न किसी तरह से पिछली सरकार के शासनकाल से जुड़े रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि पंजाब सत्तारूढ़ दल ने अपने एजेंडे में शीर्ष पर अपने विरोधियों के प्रति बदले की भावना उत्पीड़न, और सार्वजनिक अपमान करना रखा है। बादल की तरफ से दलील दी गई कि तत्काल एफआईआर सत्ता का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है और यह मुख्यमंत्री के आदेश पर किया गया है, जो राज्य एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने के बजाय अपने व्यक्तिगत उद्देश्य को व्यवस्थित करने का इरादा रखते हैं।

मनप्रीत के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए आरोप यह है कि उसने अपने पद और शक्ति का इस्तेमाल करके बठिंडा विकास प्राधिकरण (बीडीए) को प्रभावित किया, पहले तो प्लाटों को वर्ष 2021 में कम दर पर नीलामी के लिए रखा और दूसरा, साइट प्लान अपलोड नहीं किया। जनता को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया। यह आरोप भी लगाया गया है कि याचिकाकर्ता के विश्वासपात्र, जिन्हें साइट के विवरण की विशेष जानकारी थी, ने उक्त नीलामी में भाग लिया और उक्त भूखंडों को लगभग आरक्षित मूल्य पर प्राप्त करने में सफल रहे, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ।

मनप्रीत के मुताबिक, संबंधित एफआईआर सरूप चंद सिंगला की शिकायत पर दर्ज की गई है। हालांकि, इसकी सामग्री का खुलासा नहीं किया गया है और एफआईआर में सामग्री छिपाई गई है।

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