Banwari Lal Purohit की लोकसभा चुनाव से पहले राजभवन से क्यों हुई विदाई, वजह मुख्यमंत्री से विवाद या और कुछ?
Banwari Lal Purohit पुरोहित का पंजाब के गर्वनर पद से इस्तीफा देने के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने अपना इस्तीफा दे दिया। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि जिस प्रकार से चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में वोटों को लेकर विवाद पैदा हुआ है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित (Banwari Lal Purohit) का अचानक अपने पद से इस्तीफा देने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने अपना इस्तीफा दे दिया।
भाजपा के सूत्रों की मानें तो उनका कहना है कि बनवारी लाल पुरोहित पिछले सात सालों से विभिन्न राज्यों के राज्यपाल चले आ रहे हैं और पांच राज्यों के चुनाव के बाद कई वरिष्ठ नेता जिनमें शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया आदि को एडजस्ट करना है इसलिए कुछ ऐसे महत्वपूर्ण पदों को खाली करवाना जरूरी है । लोकसभा चुनाव से पूर्व ऐसे कुछ नेताओं की नियुक्ति संभव है।
विपक्ष को बैठे बिठाए पार्टी पर सीधे आरोप लगाने का मिला मौका
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि जिस प्रकार से चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में वोटों को लेकर विवाद पैदा हुआ है उससे भाजपा को फायदा कम नुकसान ज्यादा हो रहा है। विपक्ष को बैठे बिठाए पार्टी पर सीधे आरोप लगाने का मौका मिल गया है। चूंकि बनवारी लाल पुरोहित यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक भी रहे हैं इसलिए इस विवाद की जिम्मेवारी उन पर भी आती है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात को महसूस कर रहे हैं कि मेयर का एक छोटा सा चुनाव जीतने के लिए जिस प्रकार से पार्टी की फजीहत हो रही है कहीं उसका नुकसान आने वाले लोकसभा चुनाव में ही न हो जाए।यह भी पढ़ें: Banwari Lal Purohit: पंजाब के राज्यपाल पद से बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा, राष्ट्रपति को सौंपी चिट्ठी
पुरोहित के आने के बाद राजभवन आया विवादों में
वैसे कारण चाहे जो भी हो लेकिन यह तय है कि पंजाब में राजभवन विवादों में तभी से आया है जब से बनवारी लाल पुरोहित आए और उनका नई बनी आम आदमी पार्टी की सरकार से पेंच फंस गया। हालांकि इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
यहां तक कि 2005 के जुलाई महीने में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी हाई कमान और केंद्र में कांग्रेस सरकार को बिना विश्वास में लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान के साथ हुए नदी जल समझौते संबंधी बिल विधानसभा में लाकर रद कर दिए और राज्यपाल जस्टिस ओपी वर्मा ने इसे उसी शाम को पारित कर दिया। दोनों नेताओं के बीच माहौल बहुत सौहार्दपूर्ण रहा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।