पूर्व प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे से पूरे चंडीगढ़ को नुकसान, लोगों से जुड़े अहम मुद्दे लटके; ये कार्य होने थे पूरे
तीन माह से सलाहकार पद खाली होने के बीच यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित (Banwari lal Purohit Resign) के इस्तीफा देने से शहर को खासा नुकसान हुआ है। शहरवासियों को अब उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव से पहले उनके लंबित पड़े मुद्दें अब सुलझ जाएंगे लेकिन उनके इस्तीफे से वे मुद्दे धरे के धरे रह जाएंगे। ए प्रशासक आएंगे और वह नए सिरे से शहर के मुद्दों को समझेंगे।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। Chandigarh News: तीन माह से सलाहकार पद खाली होने के बीच यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित (Banwari lal Purohit Resign) के इस्तीफा देने से शहर को खासा नुकसान हुआ है।
क्योंकि शहरवासियों को अब उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव से पहले उनके लंबित पड़े मुद्दें अब सुलझ जाएंगे क्योंकि प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने भी अलग अलग मुद्दों पर लोगों को आश्वासन दिया था कि उनके कार्यकाल में ही वह इनका हल करेंगे।
बनवारी लाल के इस्तीफे से शहरवासियों को लगा झटका
ऐसे में पुरोहित के जाने से शहरवासी इसे काफी बड़ा झटका मान रहे हैं। इस समय प्रशासक पुरोहित के आदेश पर प्रशासन कई नीतियों और लोगों को राहत देने के मुद्दों पर मंथन भी कर रहा था। प्रशासक पुरोहित अपने दो साल पांच माह के कार्यकाल में लोगों से अब उन मुद्दों को समझ भी चुके थे कई मामलों को निपटाने के लिए वह खुद गृह मंत्रालय के संपर्क में थे।धरे के धरे रह जाएंगे शहरवासियों के मुद्दे
भाजपा के नेता भी मान रहे है कि लोकसभा चुनाव से पहले अब मुद्दों को निपटाने का मौका था। इसका चुनाव में उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है। शहरवासियों के अनुसार अब नए प्रशासक आएंगे और वह नए सिरे से शहर के मुद्दों को समझेंगे जब तक उन्हें सुलझाने का मौका आएगा तब तक आचार संहिता लागू हो जाएगी और मुद्दें धरे के धरे रह जाएंगे।
जबकि प्रशासन की अफसरशाही नियमों को हवाला देते हुए इन मुद्दों को सुलझाने के पक्ष में नहीं थी लेकिन प्रशासक के आदेश पर इन पर काम हो रहा था। इलेक्ट्रिक पॉलिसी में भी दो माह पहले जो संशोधन करके कोटा सिस्टम खत्म किया गया था वह भी प्रशासक के कारण हो पाया था।
कौन कौन से अहम मुद्दें हैं?
प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने लाल डोरे के बाहर बने निर्माण को नियमित करने के लिए कमेटी और नीति बनाने के लिए कहा था, जिस पर काम हो रहा था।यह शहर का 20 साल पुराना मुद्दा है।हर राजनीति दल के घोषणा पत्र में लाल डोर के बाहर बने निर्माण को नियमित करने का दावा किया जाता है।
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