पंजाब में पहली बार नारेबाजी करते हुए वेल में आए सत्ता पक्ष, सदन 20 मिनट के लिए स्थगित
चंडीगढ़ विधानसभा सत्र में अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला जहां सत्तापक्ष के विधायक केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। सदन को 20 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सहित कुछ मंत्री ही अपनी सीटों पर बैठे रहे। विधायकों की नाराजगी का कारण केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ राहत में पंजाब के साथ कथित पक्षपातपूर्ण व्यवहार था।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के विधायक ही नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में पहुंच गए। विपक्ष के विधायक सत्ता पक्ष या स्पीकर से सहमत न होते हुए नारेबाजी करते हुए अकसर वेल में चले जाते हैं, इस तरह की प्रथा तो आम है लेकिन सत्ता पक्ष के विधायक कभी ऐसा नहीं करते परंतु बाढ़ को लेकर बुलाए गए विशेष सत्र में ऐसा ही हुआ। सभी विधायकों के हाथों में प्रधानमंत्री की ओर से दी गई सहायता राशि को ‘मोदी जी का 1600 करोड़ का जुम्ला’ लिखे हुए नारे वाली तख्तियां थीं।
उन्होंने राहत पैकेज देने में पंजाब से भेदभाव का आरोप लगाया। इससे पहले, राज्य में आई बाढ़ के लिए प्रधानमंत्री की ओर से 1600 करोड़ रुपये की सहायता देने तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान को मिलने का समय नहीं देने की आलोचना करते हुए विशेष सत्र में जल स्रोत विभाग के मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने प्रस्ताव पेश किया जिसमें बाढ़ राहत पैकेज के रूप में 20,000 करोड़ रुपये देने की मांग की गई है। बाढ़ को लेकर विशेष सत्र में 6 घंटे तक चर्चा चली।
प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्रीय वित्तीय पैकेज, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड आदि को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से घोषित किए गए 1600 करोड़ रुपये में से एक भी पैसा अभी तक नहीं आया है। उन्होंने कहा कि जिस 12 हजार करोड़ रुपये की बात की जा रही है, वह कहीं नहीं है।
उन्होंने बताया कि हर वर्ष जब केंद्रीय बजट पारित होता है तो सभी राज्यों के लिए एसडीआरएफ की राशि आवंटित हो जाती है। यदि यह राशि उसी वर्ष खर्च हो जाती है तो ठीक, नहीं तो उस पर 8.50 प्रतिशत ब्याज लगता है और यह राज्य की कर्ज सीमा से कट जाती है। उन्होंने बताया कि 2017 से 2022 तक 2061 करोड़ आया जिसमें से 1678 करोड़ खर्च किया गया।
2022 से लेकर अब तक 1582 करोड़ ही आया था। उन्होंने कहा कि जिस 240 करोड़ रुपये को देने की बात की जा रही है, वह उसी एसडीआरएफ का हिस्सा है जो केंद्रीय बजट से मिलता है। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या यह सब कांग्रेस के उन पूर्व मंत्रियों को नहीं पता है जो तब कैबिनेट में थे। उन्होंने कहा कि हम तो आम घरों से आते हैं लेकिन ये तो बड़े स्कूलों में पढ़े हैं जहां इकोनामी सिखाई जाती है।
हम सभी को इस बात को लेकर एक प्लेटफार्म पर खड़ा होना चाहिए। जब सत्ता पक्ष के विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए, उस समय केवल मुख्यमंत्री भगवंत मान, वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा, कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा आदि ही अपनी सीटों पर बैठे हुए थे। सदन बीस मिनट के लिए स्थगित भी हुआ।
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