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पंजाब उपचुनाव से कोसों दूर फिर भी 'किंग मेकर' बनी शिअद, अकाली दल का वोट बैंक किसके लिए होगा फायदेमंद?

पंजाब में 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में तीन प्रमुख दलों के बीच घमासान जारी है। आम आदमी पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी जहां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं वहीं शिरोमणि अकाली दल चुनाव न लड़कर भी चर्चा में बना हुआ है। सभी दलों की कोशिश शिरोमणि अकाली दल के वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की है।

By Gurpreet Cheema Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Tue, 19 Nov 2024 04:50 PM (IST)
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शिरोमणि अकाली दल पंजाब उपचुनाव न लड़कर भी केंद्र में बना हुआ है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा की चार सीटों पर 20 नवंबर को उप चुनाव हैं। तीनों प्रमुख पार्टियों सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच चारों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होता साफ दिखाई पड़ रहा है।

इन चुनाव में प्रचार के दौरान जहां निजी रंजिशें निकालने के लिए एक दूसरे पर प्रहार किए गए। वहीं महिलाओं के प्रति अभद्र भाषा का भी उपयोग हुआ है लेकिन सबसे दिलचस्प पहलू रहा कि शिरोमणि अकाली दल चुनाव न लड़कर भी केंद्र में बना रहा।

इन चारों सीटों पर सबसे अहम पहलू यह था कि ये आरोप एक दूसरे पर जरूर लगाते रहे लेकिन अंदर ही अंदर सबका जोर इस बात पर लगा रहा कि शिरोमणि अकाली दल के वोट बैंक को अपनी ओर लाया जाए। खासतौर पर आम आदमी पार्टी का, जिन्होंने हर सीट पर अपने उन विधायकों, नेताओं कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई जो शिरोमणि अकाली दल से आम आदमी पार्टी में आए हुए हैं। बताते हैं कि उन्हें केवल इस बात के ही निर्देश दिए गए कि वे शिअद के वोट बैंक को सत्तारूढ़ पार्टी की ओर लाएं।

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शिअद के साथ पुराने रिश्ते आएंगे काम

सरदूलगढ़ के विधायक गुरप्रीत सिंह बनांवाली हों या फिर गिद्दड़बाहा पार्टी के उम्मीदवार हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों, इन्होंने अपने पुराने रिश्तों का हवाला देकर इस वोट बैंक को अपनी ओर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। डेरा बाबा नानक सीट पर पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह ने तो सार्वजनिक तौर पर ही आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का एलान कर दिया।

यही नहीं, उन्होंने अपने हलके में 31 सदस्यीय कमेटी बनाकर आप उम्मीदवार की मदद करनी शुरू कर दी है हालांकि शिरोमणि अकाली दल के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ का कहना है कि पार्टी का ऐसा कोई फैसला नहीं है कि वह आप की मदद करे। उधर, भाजपा भी अपने पुराने संबंधों का हवाला देकर शिअद के वोट बैंक को अपनी ओर खींचना चाहती है।

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खासतौर पर पार्टी का अनुसूचित जाति वोट बैंक पर ध्यान है। चुनाव आयाेग की ओर से गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के चलते अपने कार्यक्रम में फेरबदल करते हुए प्रचार के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया। पूरी तरह से थका देने वाली यह मुहिम कल शाम को समाप्त हो गई।

चुनाव आयोग के निर्देशों पर सभी बाहरी लोगों को चुनाव क्षेत्र छोड़ने का आदेश जारी किया हुआ है। उन सभी के बाहर जाने के बाद उम्मीदवार अपने-अपने काडर के जरिए लोगों तक डोर टू डोर पहुंच करेंगे। बूथों में किन किन लोगों की ड्यूटियां होंगी इसके बारे में तैयारियां होंगी।

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