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पंजाब उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेगी शिअद? कल कोर कमेटी की बैठक में होगा फैसला

पंजाब (Punjab News Hindi) की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल के लिए बड़ी चुनौती है। पार्टी के प्रधान को पहली बार ऐसे संकट का सामना करना पड़ रहा है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने उन्हें तनखैया करार दिया है। ऐसे में पार्टी को फिर से खड़ा करने में कठिनाई हो रही है।

By Inderpreet Singh Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Mon, 21 Oct 2024 06:57 PM (IST)
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शिअद के इतिहास में पहली बार पार्टी बड़े संकट में। फाइल फोटो

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब की चार सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर देश की दूसरी सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल की सबसे बुरी स्थिति है। पहली बार पार्टी के प्रधान को ऐसे संकट का सामना करना पड़ रहा है कि वह चाहते हुए भी पार्टी के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

क्या शिअद उपचुनाव में नहीं लेगा हिस्सा?

2007 से लेकर 2017 तक सरकार के दौरान सत्ता में रहते हुए जिस प्रकार के फैसले हुए, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाएं हुईं, उसको लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने उन्हें दोषी मानते हुए तनखैया तो करार दे दिया है लेकिन अभी तक धार्मिक सजा नहीं लगाई है।

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ऐसे में जहां उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में जाने को लेकर दिक्कत हो रही है, तो वहीं पार्टी को फिर से खड़ा करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिअद इन उपचुनावों से किनारा कर सकता है।

उपचुनाव को लड़ने अथवा न लड़ने संबंधी जहां कल मंगलवार को फैसला लिया जाना है वहीं, अगर यह फैसला होता है कि पार्टी चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेगी तो किन लोगों को मैदान में उतारना है, इस पर भी लंबी चर्चा होगी जिसके लिए पार्टी ने अपनी कोर कमेटी की बैठक बुला ली है।

बुरे दौर से गुजर रही है शिअद

अगर पार्टी चुनाव में उतरती है, तो उसके पास प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने की सबसे बड़ी जिम्मेवारी है, जो उनके बाद केवल बिक्रम मजीठिया ही उठा सकते हैं और कोई नेता ऐसा नहीं है जो यह काम कर सके।

जानकारों का मानना है कि बेशक तनखैया घोषित होने पर प्रचार की कोई पाबंदी नहीं है। रहत मर्यादा में कहीं यह नहीं कहा गया है कि तनखैया व्यक्ति आम लोगों में जा नहीं सकता। लेकिन ऐसा करने पर विपक्षी पार्टियां इसे नैतिकता का मुद्दा बना सकती हैं और शिरोमणि अकाली दल जो इस समय पहले से ही हाशिए पर है, उसके लिए इस स्थिति को संभालना और मुश्किल हो जाएगा।

कल होगी कोर कमेटी की बैठक

पार्टी के लिए दूसरी बड़ी मुश्किल उम्मीदवारों का चयन करना है। गिदड़बाहा सीट पर लड़ने वाले हरदीप सिंह ढिल्लों आम आदमी पार्टी में शामिल होकर सीट ले चुके हैं। इसी तरह डेरा बाबा नानक सीट पर लड़ने वाले रवि किरण काहलों भी भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम चुके हैं।

चब्बेवाल सीट पर लड़ने वाले सोहन सिंह ठंडल लड़ने का साहस जुटा नहीं पा रहे हैं, तो बरनाला सीट पर कुलवंत सिंह कीतू अन्य के मुकाबले एक कमजोर उम्मीदवार हैं। इन सीटों पर किन नए चेहरों को लाना है, यह भी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिस पर कल कोर कमेटी में चर्चा होनी है।

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