सफाई कर्मियों ने कमीशन की सदस्य के सामने बयां किया दुखड़ा
सफाई कर्मचारियों की राष्ट्रीय कमीशन की सदस्य अंजना पवार ने बुधवार को पीजीआइ चंडीगढ़ का दौरा किया। इस दौरान अंजना पवार ने पीजीआइ निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह और अस्पताल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अस्पताल में सफाई कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 23 Feb 2022 09:56 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
सफाई कर्मचारियों की राष्ट्रीय कमीशन की सदस्य अंजना पवार ने बुधवार को पीजीआइ चंडीगढ़ का दौरा किया। इस दौरान अंजना पवार ने पीजीआइ निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह और अस्पताल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अस्पताल में सफाई कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। इस दौरान पीजीआइ के सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि भी बैठक में मौजूद रहे। बड़ी बात यह रही कि सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधियों ने बैठक में कमीशन की सदस्य अंजना पवार और निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह के सामने अपना दुखड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें हर सुविधा के लिए पीजीआइ प्रशासन के समक्ष अपने हाथ फैलाने पड़ते हैं, चाहे फिर वह समान काम समान वेतन की मांग हो या फिर बीते चार से पांच साल से 35 सफाई कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड (पीएफ) से जुड़ा मुद्दा हो। अंजना पवार के समक्ष यूनियन के प्रतिनिधियों ने कहा कि कई मामलों में सफाई कर्मचारियों को अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है, चाहे वह केंद्र सरकार की ओर से लागू किए आर्थिक लाभ की बात हो या उनकी सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हों। इस दौरान बैठक में डीडीए कुमार गौरव धवन और मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर विपिन कौशल मौजूद रहे। सफाई कर्मचारियों ने बताया -वेतन देने में होती है नाइंसाफी कर्मचारियों ने अंजना पवार से बताया कि जो सफाई कर्मचारी पुराने हो चुके हैं, जिन्हें आठ से 10 साल या इससे अधिक समय हो चुका है। उनकी ड्यूटी पर सिर्फ तीन से चार शिफ्ट लगाई जाती है। जिससे उनका वेतन ना के बराबर बनता है। जबकि जो नए ठेकेदार के जरिए नए सफाई कर्मचारी आए हैं, उन्हें ड्यूटी में ज्यादा शिफ्ट देकर आर्थिक लाभ दिया जाता है। जबकि नियमों के अनुसार हर सफाई कर्मचारी को बराबर शिफ्ट दी जानी चाहिए। ताकि हर व्यक्ति को अपने घर का गुजारा चलाने के लिए ड्यूटी के हिसाब से सामान्य वेतन बन सके। ड्यूटी पर अधिकारी करते हैं बदसुलूकी यूनियन के प्रतिनिधियों ने बैठक में कहा कि पीजीआइ अस्पताल में कई ऐसे वाक्य बीते तीन से चार साल में हुए हैं, जहां जूनियर डॉक्टरों की ओर से उन पर झूठे चोरी के आरोप और बदतमीजी करने के मामले आ चुके हैं। जबकि हर बार सफाई कर्मचारियों की गलती नहीं होती, इसके बावजूद ऐसे मामलों में उनकी सुनवाई के लिए कोई कमेटी या कार्रवाई नहीं की जाती है। सफाई कर्मचारियों ने कमीशन की सदस्य से कहा कि उन्हें ऑपरेशन , सर्जरी से लेकर कई क्रिटिक्ल मरीजों के मलमूत्र तक की सफाई करनी पड़ती है। ऐसे में सफाई कर्मचारियों को बेहतर इक्वीप्मेंट और ऐसे कार्यों के लिए अलग से एलाउंस दिए जाने की मांग की।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।