कोरोना याेद्धा डॉक्टर दंपती को सलाम, लेकिन समाज पर सवाल, बच्चे को बंद कर जाना पड़ता है अस्पताल
कोरोना से जंग में डॉक्टर खुद की परवाह किए बिना जुटे हुए हैं। चंडीगढ़ की का डॉक्टर दंपती मरीजों के इलाज में जुटा है लेकिन कोई उनके बेटे का कुछ देर ध्यान रखने को तैयार नहीं है।
चंडीगढ़, जेएनएन/एएनआइ। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ कोरोना की चपेट में है और उसे इस संकट से निकालने में कोरोना याेद्धा हमारे डॉक्टर जुटे हुए हैं। ये डॉक्टर अपनी निजी जिंदगी और परिवार की परवाह किए बिना महामारी के खात्मे में जुटे हुए हैं, लेकिन समाज का रवैया चोट पहुंचाने वाला है और गंभीर सवाल उठाता है। चंडीगढ़ की एक डॉक्टर दंपती की कहानी झकझोर देती है। यह डॉक्टर दंपती कोरोना मरीजों के इलाज में जुटा हुआ है और उनके सात साल के बेटे को देखभाल करने को तैयार नहीं है। डॉ. गीतिका को अपने सात साल के बेटे काे घर में बंद करके अस्पताल जाना पड़ता है।
कोई भी कुछ देर के लिए भी सात साल के बेटे की देखभाल को नहीं तैयार, घर में बंद कर अस्पताल जाती हैं
डॉ. गीतिका के पति डॉ. संजय जसवाल 17 दिनों से चंडीगढ़ पीजीआइ में ड्यूटी पर तैनात हैं और उस समय से घर नहीं आए हैं। डॉ. गीतिका चंडीगढ़ के एक निजी अस्पताल में मरीजों का इलाज करने जाती हैं। उनका सात साल का एक बेटा है, लेकिन उनको अस्पताल जाने के लिए सात साल के बेटे को घर में बंद करके जाना पड़ता है।
डॉ. गीतिका सिंह ने कई लोगों से संपर्क किया कि वे उनके अस्पताल जाने के बाद कुछ घंटे ख्याल रख सकें, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। डॉ. गीतिका ने कहा, मेरे पति डॉ. संजय जसवाल पीजीआईएमईआर COVID19 ड्यूटी पर तैनात थे। वह अब 17 दिनों सेअपने घर नहीं लौट पाए हैं।
डॉ. संजय जसवाल को अभी क्वारंटाइन किया गया है। वह अभी छह दिनों तक वहां रहेंगे। इसके बाद जांच के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने पर वह घर आ सकेंगे। दूसरी ओर, घर में डाॅ. गीतिका सिंह घर में बेटे के साथ अकेली हैं। ऐसे में उनके अस्पताल में जाने के बाद बेटे की देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है।
डॉ. गीतिका सिंह कहती हैं, मेर पति डॉ. संजय जसवाल चंडीगढ़ पीजीआइ में कार्यरत हैं और 17 दिनों से घर नहीं लौटे हैं। उनका छह दिन बाद फिर टेस्ट होगा और उम्मीद है कि अगर सभी रिपोर्ट नेगेटिव आया तो वह घर आएंगे। वह ड्यूटी के बाद क्वारंटाइन पर हैं।डॉ. गीतिका ने बताया, उनके पति और छह दिन पीजीआइ में रहेंगे और फिर उनका परीक्षण किया जाएगा। यदि सभी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो वह घर आ जाएंगे। वह कहती हैं, जब भी मैं किसी मरीज के इलाज के लिए जाती हूं तो मुझे अपने बच्चे को घर पर बंद करना पड़ता है। वह सात साल का है। लोग एक घंटे के लिए भी उसे रखने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वे डरते हैं।
पूरे मामले में लोगों के रवैये से बड़ा सवाल उठता है। एक डॉक्टर दंपती लाेगोें को कोराेना से बचाने को अपनी परवाह किए बिना जुटे हुए हैं। उनके परिवार के प्रति रुख दुखद है। इन सबके बावजूद डाॅ. गीतिका बिना किसी विचलित नहीं हैं और मरीजों के इलाज में जुटी हुई हैं।
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