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पंजाब में शिक्षा क्रांति का आधार बनेगा स्कूल आफ एमिनेंस, गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों की बदलेगी तकदीर

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन देने का बीड़ा उठाया है। उसी का असर है कि अब सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ने लगे हैं। प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर पहले स्कूलों की इमारतों का बुनियादी आधारभूत ढांचा विकसित करने के साथ साथ पहली बार अभिभावकों और अध्यापकों की एक साथ पूरे राज्य में बैठकें करवाई गईं।

By Jagran News Edited By: Gaurav Tiwari Updated: Wed, 04 Oct 2023 01:59 PM (IST)
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स्कूलों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है।
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन देने का बीड़ा उठाया है। उसी का असर है कि अब सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ने लगे हैं। प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर पहले स्कूलों की इमारतों का बुनियादी आधारभूत ढांचा विकसित करने के साथ साथ पहली बार अभिभावकों और अध्यापकों की एक साथ पूरे राज्य में बैठकें करवाई गईं।

वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने अमृतसर में पहला स्कूल आफ एमिनेंस खोल कर पंजाब में शिक्षा क्रांति की नींव रख दी है। मेधावी छात्रों के लिए स्कूल आफ एमिनेंस का एक नया संकल्प लेकर सरकार राज्य में 117 स्कूल स्थापित कर रही है।

स्कूल आफ एमिनेंस एक नया अनुभव है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वपक्षीय विकास को सुनिश्चित करना है। इन स्कूलों के बनने से अलग-अलग क्षेत्रों में विद्यार्थियों को निपुण बनाने और सीखने का बढ़िया अनुभव होगा। अति-आधुनिक सुविधाओं के साथ लैस यह स्कूल विद्यार्थियों को मानक शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं।

इन स्कूलों को विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग, कानून, कामर्स, यूपीएससी और एनडीए सहित पांच पेशेवर और प्रतियोगिता वाले कोर्स के लिए तैयार करने पर केंद्रित किया गया है। स्कूलों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है।

पंजाब के सीएम ने साफ कहा है कि अध्यापकों से केवल अध्यापन का काम लिया जाए। पंजाब में करीब 20 हजार सरकारी स्कूल हैं, इनमें 12 हजार प्राइमरी स्कूल हैं। जिसमें 30 लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जाहिर है कि इतने बच्चों के लिए अध्यापन के अलावा भी काम होते हैं। बच्चों के लिए मिड डे मील तैयार के लिए राशन की खरीद, उनकी संभाल आदि जैसे कई काम हैं। स्कूलों का रख रखाव आदि से भी ये मामले जुड़े हुए हैं। लंबे समय से इन कामों में अध्यापकों को ही लगाया जा रहा है। परंतु अब स्कूलों में शिक्षक केवल पढ़ाने का ही काम करेंगे, जबकि मैनेजमेंट से जुड़े अन्य काम करने के लिए कैंपस मैनेजर नियुक्त किए जाएंगे।

सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। कैंपस मैनेजरों की भर्ती की प्रक्रिया आउटसोर्स एजेंसी पेस्को की ओर से 2042 सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से शुरू की गई है। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से पेस्को के साथ एक समझौता किया गया है। शिक्षा विभाग के इस फैसले से कैंपस मैनेजर ही स्कूल के मैनेजमेंट का कामकाज देखेंगे। जिससे शिक्षकों की अन्य कामों में ड्यूटियों के कारण खराब होने वाली पढ़ाई पर पर असर नहीं पड़ेगा।

वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से 689 सीनियर सेकेंडरी में 1378 सुरक्षा गार्ड आउटसोर्स एजेंसी पेस्को के माध्यम से भर्ती किए जा रहे हैं। 8284 स्कूलों में 2012 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को चौकीदारों और स्वच्छता कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्कूल प्रबंधन समितियों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही स्कूलों में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर बजट में फंड का प्रावधान किया गया है। नियुक्त किए जा रहे कैंपस मैनेजर प्रमुख तौर पर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को जवाबदेह होगा। स्कूलों की कमेटी समय-समय पर उसके काम का निरीक्षण भी करेगी। काम सही नहीं हुआ तो उसकी सेवाएं समाप्त करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को लिखा जाएगा और मामले में कार्रवाई भी होगी।


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