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फरहत को बचपन में प्यार हुआ तो... लव लेटर लिखते-लिखते बन गए शायर

शायर फरहत अहसास ने कहा कि लव लेटर को बेहतर तरीके से लिखते-लिखते कब मैं शायर बन गया, मुझे खुद को ही अहसास नहीं हुआ।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 22 May 2018 11:54 AM (IST)
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फरहत को बचपन में प्यार हुआ तो... लव लेटर लिखते-लिखते बन गए शायर

जेएनएन, चंडीगढ़। बचपन में लिखने का कोई शौक नहीं था। जब 16-17 साल का हुआ तो उस समय पहली बार शेयर लिखा। उसके बाद मुझे पढ़ने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भेज दिया गया। वहां पर जाने के बाद मुझे प्यार हुआ। उम्र बहुत कम थी, जिसके कारण मैं उसे समझ नहीं पाया कि वह प्यार था या फिर कुछ और। लेकिन उस उम्र के लिखे हुए लव लेटर ने मुझे शायर बनाकर रख दिया।

यह बात शायर फरहत अहसास ने आर्ट गैलरी म्यूजियम सेक्टर-10 में आयोजित कवि दरबार में साझा की। उन्होंने कहा कि लव लेटर को बेहतर तरीके से लिखते-लिखते कब मैं शायर बन गया, मुझे खुद को ही अहसास नहीं हुआ। कवि दरबार में गजल गायिका निर्मल आर्य की गजल पुस्तक कौन हो तुम का भी विमोचन फरहत अहसास ने किया। पुस्तक में 110 गजलों को पेश किया गया है।

पति ने किया विरोध, लेकिन जिद्द की हुई जीत

गजल गायिका निर्मल आर्य ने बताया कि लखनऊ में मेरी 16 साल की उम्र में शादी कर दी गई और उसके बाद मैं अपने पति के साथ पानीपत शिफ्ट हो गई। जब मैंने शुरू में छोटा-मोटा लिखना शुरू किया तो पति ने बहुत विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह क्या काम है। घर के काम में ध्यान दो। मेरे दो बच्चे हैं। जब बच्चे बड़े हुए तो उन्होंने मुझे फेसबुक पर शायरी लिखने का हौसला दिया।

कुछ दिन तक लिखने के बाद किसी ने बताया कि अच्छा लिखने के लिए सीखना पड़ता है। उसके बाद ही कुछ बेहतर कर सकते हो। मैंने इंटरनेट से मीटर की बहर और छंद सीखे और दोबारा से लिखना शुरू किया। छंद सीखने के बाद जब मैंने लिखा तो मेरी लेखनी में बेहतर निखार आया और मैंने करीब दो सालों में दौ सौ से भी ज्यादा गजलें और कविताएं लिख ली। उन्हीं में से 110 को पहली बार प्रकाशित करवाया है।

उत्तर भारत से पहुंचे कवि

कवि दरबार में उत्तर भारत के विभिन्न कवियों ने शिरकत की। जिसमें विकास राणा, मुदिता रस्तोगी, अमित बजाज, मुसब्बिर फिरोजपुरी, विनीत आश्ना, चिराग बरेलबी और अंकुर रस्तोगी। कार्यक्रम का समापन फरहत अहसास की शायरी से हुआ।

फरहत ने इन शेरों से महफिल लूटी

1.गौर से देखो तो हर चेहरे की बेनूरी का राज

बादशाह-ए-वक्त के चेहरे की ताबानी में है

चांद भी हैरान, दरिया भी परेशानी में है

अक्स किसका है कि इतनी रोशनी पानी में है।

2. अब दिल की तरफ दर्द की यलगार बहुत है

दुनिया मेरे जख्मों की तलबगार बहुत है

अब टूट रहा है मेरी हस्ती का तसव्वुर

इस वक्त मुझे तुझ से सरोकार बहुत है।

3. जिस्म के पार वो दिया सा है

दरमियां खाक का अंधेरा है

खिल रहे हैं गुलाब होंठों पर

और ख्वाबों में उसका बोसा है। 

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