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Punjab Bye-Election: वोट बैंक कहीं BJP में न हो जाए शिफ्ट, अकाली दल के मैदान से हटने से बढ़ी AAP और कांग्रेस की चिंता

Punjab Bye_Election पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल के मैदान से हटने से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है। उन्हें डर है कि अकाली दल का वोट बैंक भाजपा के खाते में जा सकता है। भाजपा ने तीन सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं जो कभी अकाली दल में थे।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 26 Oct 2024 07:53 PM (IST)
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और मुख्यमंत्र भगवंत मान (फाइल फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के पंजाब में चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में लड़ाई के मैदान से हटने से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की चिंता बढ़ रही है।

इन पार्टियों को लग रहा है कि शिरोमणि अकाली दल का वोट बैंक भाजपा के खाते में शिफ्ट हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि शिअद और भाजपा का ढाई दशक तक गठजोड़ रहा है और दोनों दलों के नेता एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने भी चार सीटों में से तीन सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को उतारा जो किसी ने किसी समय पर में शिरोमणि अकाली दल से जुडे रहे हैं।

गिदड़बाहा में मनप्रीत बादल, डेरा बाबा नानक में रवि करण काहलों और चब्बेवाल में सोहन सिंह ठंडल तीनों शिरोमणि अकाली दल से आए हैं और उनकी शिअद कार्यकर्ताओं से नजदीकियां भी रही हैं।

SAD के इन नेताओं ने छोड़ा दामन

मनप्रीत बादल इनमें से ऐसे हैं जिन्होंने शिरोमणि अकाली दल को विदा कहे काफी समय हो गया है लेकिन वह गिदड़बाहा सीट पर ही शिअद का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

वह हर घर को जानते हैं। इसी तरह से डेरा बाबा नानक सीट से रवि किरण काहलों भी लंबे समय तक अकाली दल में रहे हैं।

उनके पिता निर्मल सिंह काहलों पंजाब विधानसभा के स्पीकर और पूर्व मंत्री भी रहे हैं। रवि किरण के भाजपा के बड़े नेताओं के साथ भी सीधे संबंध रहे हैं।

चब्बेवाल सीट पर चुनाव लड़ रहे भाजपा के सोहन सिंह ठंडल तो तीन दिन पहले तक अकाली दल में ही थे। वह भी अकाली सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

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भाजपा के लिए दिक्कत की बात केवल यह है कि ये तीनों सीटें निरोल ग्रामीण सीटें हैं और तीन खेती कानूनों के बाद से ही ग्रामीण वर्ग की भाजपा के प्रति नाराजगी काफी ज्यादा है।

इन तीनों उम्मीदवारों को पूरा जोर लगाकर अकाली दल के उस वोट बैंक को पार्टी में लाने की कोशिश करनी होगी जो इस बार अपनी पार्टी के प्रत्याशी के खड़ा न होने के कारण असमंजस की स्थिति में दिखाई पड़ रहा है।

'कांग्रेस में शिफ्ट नहीं होता SAD का वोट बैंक'

सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को सबसे बड़ी चिंता यही सताए जा रही है। अकाली दल का वोट बैंक कभी भी कांग्रेस को शिफ्ट नहीं होता। सत्तारूढ़ आप से यह खफा है और भाजपा से नाराज है।

ऐसे में तीनों उम्मीदवार अपने पुराने संबंधों का वास्ता देकर उन्हें अपनी ओर कितना ला पाते हैं यह देखने वाली बात होगी। निश्चित रूप से यह स्थिति आप और कांग्रेस की चिंता को बढ़ा रही है।

बरनाला सीट सेमी अर्बन है। भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक केवल ढिल्लों को उतारा है। उनका इस सीट पर अच्छा आधार है। आप के विधायक मीत हेयर ने उनको लगातार दो बार हराया है।

मीत हेयर के सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली हुई है। मीत हेयर को संसदीय चुनाव के दौरान भी यहां से अच्छे खासे वोट मिले थे लेकिन पार्टी के जिला प्रधान की बगावत के कारण आप के उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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