Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Punjab News: पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को झटका, पेंशन को लेकर याचिका हुई खारिज; HC ने कही ये बात

पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को झटका देते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने पेंशन की मांग को लेकर याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि नीति तय करना सरकार का कार्य है। ऐसे मामलों में न्यायालय का दखल सही नहीं है। अदालतों का काम कानून की व्याख्या करना और संविधान के खिलाफ होने पर उसे रद्द करना है।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 03 Jul 2024 10:46 PM (IST)
Hero Image
पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को झटका।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को बड़ा झटका देते हुए पेंशन की मांग को लेकर दाखिल याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेने का काम सरकार का है और उन्होंने खराब आर्थिक स्थिति के चलते याचिकाकर्ताओं के लिए पेंशन का प्रावधान नहीं किया है। यह पूरी तरह नीतिगत मामला है जिसमें न्यायालय का दखल सही नहीं है।

याचिका दाखिल करते हुए पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब के सभी विभागों में कर्मचारियों को पेंशन दी जाती है लेकिन याचिकाकर्ताओं को नहीं। उन्होंने पेंशन की मांग को लेकर सरकार को मांग पत्र भी दिया था। बोर्ड ने प्रस्ताव तैयार किया था कि कर्मचारियों को पेंशन बोर्ड के फंड से दी जा सकती है।

पेंशन और सेवा नियम सरकार का मामला

याचिका का विरोध करते हुए पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट तीव्र शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति की शर्त में ही पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही पेंशन और सेवा नियम सरकार का मामला है और अदालत को इसके लिए निर्देश नहीं जारी करने चाहिए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सुस्थापित कानून है कि नीतिगत मामलों की जांच में न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है।

ये भी पढ़ें: Punjab News: 'अकाली दल गलतियों के लिए मांगे माफी...', मिसल सतलुज ने SAD से की मांग- राजनीतिक जीवन से लें सन्यास

नीतिगत निर्णय लेना कार्यपालिका के क्षेत्र में

न्यायालय किसी नीति की शुद्धता, उपयुक्तता या औचित्य की जांच नहीं कर सकते हैं, न ही न्यायालय नीति के मामलों में कार्यपालिका के सलाहकार हैं, जिन्हें बनाने का अधिकार कार्यपालिका को है। नीतिगत निर्णय की न्यायिक समीक्षा और किसी खास तरीके से नीति बनाने के लिए आदेश जारी करना बिल्कुल अलग-अलग बातें हैं। बेहतर प्रशासन के लिए मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर नीतिगत निर्णय लेना कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है।

कानून बनाना न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, हम कानूनों की व्याख्या करते हैं और ऐसी व्याख्या में कुछ रचनात्मक प्रक्रिया शामिल होती है। न्यायालयों को कानून को असंवैधानिक घोषित करने का अधिकार है लेकिन वह भी तब, जब इसकी आवश्यकता हो।

हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की याचिका की खारिज

न्यायालय को किसी नीतिगत निर्णय की वैधता पर विचार तभी करना चाहिए जब यह संविधान द्वारा तय मौलिक अधिकारों या किसी अन्य वैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता हो। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।

ये भी पढ़ें: Punjab Crime: मानव तस्करी में धरे गए दो ट्रैवल एजेंट, डाटा एंट्री में नौकरी के नाम पर भेजते थे कंबोडिया

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें