Punjab News: सुखबीर बादल छोड़े अध्यक्ष पद... शिरोमणि अकाली दल ने बागियों ने कर दी बगावत; बताई ये बड़ी वजह?
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) में बगावती सुर अब तेज हो गए हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अकाली दल के कुछ नेताओं ने सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal) पर पद छोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि अकाली दल को पुनर्जीवित करने के लिए सुखबीर बादल को अपना पद छोड़ देना चाहिए।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद शिरोमणि अकाली दल की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) के खिलाफ एक बार फिर बगावत हो गई है। लोकसभा चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने और पार्टी को दोबारा पैरों पर खड़ा करने के लिए सुखबीर बादल जहां चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में जिला प्रधानों, पूर्व विधायकों और हलका प्रभारियों के साथ बैठक कर रहे थे।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पूर्व मंत्री प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जागीर कौर, सुरजीत सिंह रखड़ा, सिकंदर सिंह मलूका, सुच्चा सिंह छोटेपुर, परमिंदर सिंह ढींडसा, सरवन सिंह फिल्लौर, भाई मंजीत सिंह, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला ने अलग से बैठक की। जालंधर में बैठक कर इन नेताओं ने अकाली दल को पुनर्जीवित करने के लिए सुखबीर सिंह बादल से अध्यक्ष पद छोड़ने को कहा है।
दलजीत सिंह चीमा ने कही ये बात
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कोर पार्टी मीटिंग में कहा कि हमारी पार्टी के प्रमुख (सुखबीर सिंह बादल) ने शुरुआत में कहा था कि अगर पार्टी को ऐसा लगता है, तो वह अपना पद छोड़ने को तैयार हैं। पार्टी ने इसके विपरीत फैसला किया और हमें लगता है कि अपनी कमियों पर विचार करना और उन्हें सुधारने की दिशा में मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल की बुरी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष सुखबीर के खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की आवाज उठी थी। इसके बाद एक झूंदा कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बादल ने संगठनात्मक ढांचा तो भंग कर दिया, लेकिन वह खुद अध्यक्ष बने रहे। उस समय बगावती सुरों को दबाने के लिए हार के कारणों का पता लगाने के लिए पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया था।
झूंदा कमेटी ने पार्टी अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट
झूंदा कमेटी ने करीब 100 विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं, नेताओं और लोगों से बातचीत के आधार पर पूरी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपी थी। उस समय हार की मुख्य वजह डेरा प्रमुख का माफी मांगना, बेअदबी के आरोपियों पर कार्रवाई न करना, विवादित पुलिस अधिकारी सुमेध सैनी को डीजीपी बनाने का मामला सामने आया था।
अब लोकसभा चुनाव में अकाली दल के दस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। तेरह में से सिर्फ एक सीट ही पार्टी के हाथ में है। लोकसभा चुनाव में पार्टी को पहली बार इतनी बुरी हार मिली है कि दस उम्मीदवार चौथे और एक पांचवें स्थान पर पहुंच गये।
अकाली दल लगातार दो बार विधानसभा, नगर निगम और पंचायत चुनाव हार चुका है। हार के बाद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने हार का कारण पार्टी अध्यक्ष को बताया, जिसके बाद अन्य नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए।
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अकाली नेता चंदूमाजरा एक जुलाई को जत्थेदार साहब से करेंगे मुलाकात
जालंधर में बागी नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि अकाली नेता 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होंगे और जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब से खीमा जचका को गलती माफ करने का अनुरोध करेंगे।
चंदूमाजरा ने कहा कि अतीत में कुछ गलतियां हुई हैं, कुछ जानबूझकर और कुछ चुप रहकर। उन्होंने सभी अकाली नेताओं से एक जुलाई को भूलने के लिए अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अकाली दल का गौरवशाली इतिहास है और वे श्री अकाल तख्त साहिब से प्रार्थना करेंगे कि अकाली दल को फिर से पुराने ढर्रे पर लाया जाए।
इस्तीफा मांगने वालों की बार-बार हार हुई है- ग्रेवाल
दूसरी ओर, अकाली दल के महासचिव बलविंदर सिंह भूंदड़, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद हैं और यह बगावत नहीं है। ग्रेवाल ने बादल का समर्थन करते हुए कहा कि जिनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है, वे 50 हजार वोटों के अंतर से जीते हैं। जबकि वे (बागी) लगातार तीन बार हार रहे हैं और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
भूंदड़ ने कहा कि देश में मोदी के पक्ष और विपक्ष में आंदोलन चल रहा है। अकाली दल लोगों को यह नहीं समझा सका कि जीत के बाद वे कहां खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी पंजाब के हित के सिद्धांतों पर कायम है और उनके लिए राज्य का बंटवारा बाद की बात है।
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