पंजाब में किसानों की भलाई के लिए पहली बार उठे कदम, फसली विविधता पर दिया जा रहा जोर
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार किसानों व कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ मजबूती से न सिर्फ खड़ी है बल्कि किसानों को आने वाली समस्याओं को दूर करने की दिशा में भी मजबूती से कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री जहां एक तरफ पंजाब के गिरते जल स्तर को लेकर चिंतित हैं तो उनकी कोशिश है कि किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ जुड़कर आय को बढ़ाए।
By Jagran NewsEdited By: Gaurav TiwariUpdated: Mon, 09 Oct 2023 03:01 PM (IST)
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार किसानों व कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ मजबूती से न सिर्फ खड़ी है बल्कि किसानों को आने वाली समस्याओं को दूर करने की दिशा में भी मजबूती से कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री जहां एक तरफ पंजाब के गिरते जल स्तर को लेकर चिंतित हैं तो उनकी कोशिश है कि पंजाब के किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ जुड़ कर अपनी आय को बढ़ाए। मुख्यमंत्री जहां पंजाब के माथे पर पराली जलाने से लगने वाले कलंक को मिटाने की कोशिश में जुटे हुए हैं तो फसली विविधता पर भी जोर दे रहे है।
यही कारण है कि पंजाब में पहली बार कपास काश्तकारों को अप्रैल माह में सिंचाई के लिए नहरी पानी मुहैया करवाया गया। पूरी बिजली मिलने से किसानों ने जरूरत के मुताबिक ही ट्यूबवेल चलाया। मुख्यमंत्री जहां किसानों को रिवायती फसलों के चक्र से बाहर निकाल उन्हें बासमती जैसी कम पानी के प्रयोग वाले फसल से जोड़ने की कोशिश कर रहे है। ताकि पंजाब के किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ कर अधिक आय प्राप्त कर सकें।
रसायन रहित बासमती की काश्त के लिए अमृतसर में पायलेट प्रोजेक्ट
अंतरराष्ट्रीय स्तर के बाजारों में पंजाब के किसानों की हिस्सेदारी बढ़े इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जैविक खेती को उत्साहित करने पर जोर दिया है। इसके अंतर्गत पंजाब सरकार ने अमृतसर जिले के चोगावां ब्लॉक में रसायन-रहित बासमती की काश्त के लिए एक पायलट प्रोजैक्ट शुरू किया है।इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए चोगावां ब्लॉक का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि यह क्षेत्र रावी दरिया के नजदीक है और यहां की जलवायु बढ़िया सुगंध वाली और निर्यात गुणवत्ता वाली बासमती की उपज के बिल्कुल अनुकूल है। बासमती चावल के निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि इस क्षेत्र में पैदा होने वाली ज्यादातर बासमती अरब, यूरोपियन और मध्य पूर्वी देशों को निर्यात की जाती है। मौजूदा समय बासमती 60 से अधिक देशों को निर्यात की जाती है, अकेले अमृतसर जिले ने पिछले साल तकरीबन 9 हजार करोड़ रुपए की बासमती निर्यात की गई थी।
बासमती के क्षेत्रफल में 20.6 फीसदी की वृद्धि
यह ही नहीं, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार किसानों को उन फसलों की खेती करने को प्रोत्साहित कर रही है जिसमें किसानों को न सिर्फ ज्यादा मुनाफा हो बल्कि पंजाब के गिरते जल स्तर को भी रोका जा सके। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार के इस प्रयास के कारण राज्य में अब बासमती के अधीन आने वाले एरिया में रिकार्ड इजाफा हुआ है। पिछले एक साल के दौरान सरकार के प्रयास के कारण बासमती की काश्त क्षेत्र में 20.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष बासमती का रकबा 4.94 लाख हेक्टेयर था। जोकि इस साल बढ़ कर 5.96 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। बासमती को प्रोत्साहित करने के पीछे मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच हैं।मुख्यमंत्री पंजाब के किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ जोड़ना चाहते हैं। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती की काफी डिमांड है। बासमती का रकबा सर्वाधिक अमृतसर, श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का क्षेत्र में बढ़ा है। अमृतसर में वर्ष 2022 में 1,11,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती की काश्त हुई थी, जोकि इस वर्ष बढ़ कर 1,42,000 लाख हेक्टर तक पहुंच गया है। इसी प्रकार श्री मुक्तसर साहिब में पहले 68,500 एकड़ में बिजाई होती थी जोकि बढ़ कर 90,000 एकड़ तक पहुंच गई। जबकि फाजिल्का में पहले 73,300 हेक्टेयर में बासमती बीजी जाती थी, जोकि अब बढ़ कर 78,800 हेक्टयर तक पहुंच गई है।
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