Punjab Politics: शिअद की शर्तों में उलझी राजनीतिक पार्टियों की रणनीति, SAD-BJP गठबंधन पर टिकी कांग्रेस की नजर
Punjab Politics पंजाब में राजनीतिक पार्टियों की रणनीति शिअद की शर्तों में उलझ गई है। कांग्रेस की रणनीति है कि वह चुनाव में खुद को प्रबल प्रतिद्वंदी के रूप में पेश करे। कांग्रेस मान रही है कि अगर शिअद-भाजपा का गठबंधन होता है तो उसका मुकाबला गठबंधन के साथ होगा। वर्तमान में कांग्रेस के 6 सिटिंग सांसद है। इसमें से अधिकांश के सर्वे रिपोर्ट पार्टी के अनुकूल नहीं है।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Lok Sabha Election 2024: पंजाब के लोगों की नजर शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भाजपा के गठबंधन पर लगी है। मुख्य विपक्षी पार्टी की रणनीति भी इसी पर टिकी है कि दोनों पार्टियों का गठबंधन होगा या नहीं। गठबंधन को लेकर शिअद ने बंदी सिखों, एमएसपी कानून जैसी शर्तों को आगे लाकर गठबंधन की राह को मुश्किल कर दिया है।
इससे कांग्रेस, भाजपा और शिअद की राजनीतिक गणित बिगड़ने लगी है। कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति को इसलिए शिथिल किया हुआ है ताकि वह यह देख सके की शिअद-भाजपा का गठबंधन हो रहा है या नहीं। क्योंकि अगर दोनों पार्टियों का गठबंधन होता है तो पंजाब की राजनीतिक तस्वीर और होगी और अगर नहीं तो कांग्रेस अपने चेहरों को भी बदलने की स्थिति में होगी।
शिअद कोर कमेटी ने राजनीति के सिद्धांतों का बिगाड़ा गणित
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा यह कहना कि गठबंधन के लिए अकाली दल के साथ बातचीत चल रही है, के बाद से ही यह तय माना जा रहा था कि दोनों पार्टियां गठबंधन को तैयार हैं, लेकिन शिअद कोर कमेटी ने राजनीति से ऊपर सिद्धांतों को रख कर सारी गणित को बिगाड़ दिया है।इससे सबसे ज्यादा प्रभावित कांग्रेस नजर आ रही है। कांग्रेस की रणनीति है कि वह चुनाव में खुद को प्रबल प्रतिद्वंदी के रूप में पेश करे। कांग्रेस मान रही है कि अगर शिअद-भाजपा का गठबंधन होता है तो उसका मुकाबला गठबंधन के साथ होगा। अगर गठबंधन नहीं होता है तो उसका मुकाबला सत्तारूढ़ आप के साथ होगा। दोनों ही सूरत में उसे सधी हुई रणनीति तैयार करनी पडेगी।
वर्तमान में है कांग्रेस के छह सिटिंग सांसद
वर्तमान में कांग्रेस के 6 सिटिंग सांसद है। इसमें से अधिकांश के सर्वे रिपोर्ट पार्टी के अनुकूल नहीं है। इसके बावजूद कांग्रेस सिटिंग सांसद की टिकट काटने का जोखिम नहीं उठा सकती है। क्योंकि अभी उसके सामने स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है कि उसे किस पार्टी के साथ मुकाबला करना है।यह भी पढ़ें: Poisonous Liquor Case: 'शराब कांड के आरोपितों को किसी हालत में...', पीड़ितों से मिलने के बाद CM मान ने किया ये बड़ा एलान
आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से राजनीतिक रूप से बदलाव भी देखने को मिल रहा है। आप भले ही अपने पार्टी के नेताओं का आत्मविश्वास बना कर रखना चाहती हो लेकिन आशानुरूप रिस्पांस नहीं मिल पाया है।
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