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Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के मामलों में आई 53 फीसदी की गिरावट, मान सरकार ने उठाए ये जरूरी कदम

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में इस साल करीब 50 फीसद गिरावट आई है। खास बात यह है कि पराली जलने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने इस साल कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। चलिए जानते हैं यह कैसे संभव हो पाया।

By Rohit KumarEdited By: Gurpreet CheemaUpdated: Thu, 26 Oct 2023 06:03 PM (IST)
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पंजाब में पराली जलाने के मामलों में आई गिरावट (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पिछले साल के मुकाबले पंजाब में इस साल पराली जलाने की घटना करीब 53 फीसद कम हुई है। इस दिशा में पंजाब सरकार ने धान की पराली जलाने की गंभीर समस्या के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

पराली में आग लगने की संख्या 2022 में 5798 थी जो अब इस साल घटकर 2704 हो गई है, जो 25 अक्टूबर 2022 की तुलना में 25 अक्टूबर 2023 तक 53 फीसद की कमी आई है। पराली में आग लगाने की घटना हर साल 15 सितंबर से शुरू होती है। 31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती वाला राज्य पंजाब, 20 मिलियन टन धान का भूसा पैदा करता है।

पंजाब सरकार ने उठाए जरूरी कदम

सरकार ने एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया, इन-सीटू (ऑन-फील्ड) और एक्स-सीटू (ऑफ-फील्ड) धान के भूसे प्रबंधन में पहल को लागू किया। इन-सीटू प्रबंधन पहल में किसान समूहों के लिए 80 फीसद सब्सिडी और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50 फीसद सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का प्रावधान शामिल है।

24 हजार मशानों की खरीद पर मंजूरी

भगवंत मान सरकार की सरकार ने सितंबर में, कटाई के मौसम से काफी पहले ही 24,000 मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी। जिनमें से 16,000 मशीनें पहले से ही किसानों के उपयोग में हैं। प्रत्येक ब्लॉक में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए जिलों को 7.15 करोड़ का आवंटन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे और सीमांत किसानों को सीआरएम मशीनें मुफ्त प्रदान की जाएं।

माैजूदा समय में राज्य में 1.35 लाख सीआरएम मशीनें हैं और उनके उपयोग को अधिकतम करने के लिए ठोस प्रयास चल रहे हैं। राज्य ने इन मशीनों के उपयोग पर नजर रखने के लिए एक प्रणाली स्थापित की है और मशीनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उच्च स्तरीय अधिकारियों ने साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है।

पंजाब ने सीआरएम मशीनों या सरफेस सीडर के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी संयोजन पेश किया है। इसे 500 किसानों ने खरीदा है। धान के भूसे का उपयोग करने के लिए इस क्षेत्र में किए गए हस्तक्षेप को स्वच्छ ईंधन का उत्पादन करने के लिए भूसे का उपभोग करने वाले उद्योगों को स्थापित करने के राज्य के दबाव से पूरक किया गया है।

राज्य में धान के भूसे का उपयोग करने वाले उद्योगों ने उद्योगों की स्थापना के लिए सरकार के प्रोत्साहन और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं से प्रेरित होकर 2022 से 23.4 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि के साथ धान के भूसे की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

सभी उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रही है पंजाब सरकार

प्रशासन ने सभी उद्योगों को बेलर एग्रीगेटर्स के साथ मैप करके और भूसे के भंडारण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध में पहल की। भूसे की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और इकाइयों के सामने आने वाली किसी भी परिचालन संबंधी समस्या से बचने के लिए सभी उद्योगों के साथ नियमित संचार स्थापित किया गया है।

ईंट भट्टों को 20 फीसद कोयले को धान के भूसे के इस्तेमाल के निर्देश और ईंधन के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने वाले पहले 50 बायलरों को 25 करोड़ वित्तीय प्रोत्साहन दिया। ग्रामीण विकास विभाग ने धान की पराली का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध उद्योगों को 33 वर्षों के लिए पट्टे के आधार पर भूमि प्रदान की जा रही है। सरकार बड़े बेलर खरीदने के लिए पीपीपी माडल को भी सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है, जिसमें धान के भूसे की आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए 1 करोड़ रुपये तक की 65 फीसद सब्सिडी दी जाती है।

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