चंडीगढ़ में छात्र संघ चुनाव : सियासत में आ सकते हैं नए चेहरे, मुकाबला कांटे का होगा
पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी संगठन सक्रिय हो गए हैं। छात्र हॉस्टल सुविधा फीस पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर प्रचार जोरों पर है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। कुछ संगठन केवल प्रमुख पदों पर ही उम्मीदवार उतारेंगे जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।

मोहित पांडेय, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव का बिगुल बज चुका है। मतदान के 10 दिन शेष बचे हैं। छात्र संगठन अपना घोषणा पत्र और पैनल घोषित करके पूरी ताकत झोंकने में जुट गए है। इसके साथ उम्मीदवारों के नाम को लेकर भी संगठनों में मंथन तेज हो गया है। इस बार नए चेहरों पर दांव लगाया जा सकता है, जिससे कांटे के मुकाबले के आसार हैं।
संगठनों ने अपने-अपने मुद्दों को छात्रों के बीच पहुंचाने की रणनीति बना ली है। इस बीच सभी दल अपने घोषणा पत्र तैयार करने के साथ-साथ पैनल भी अंतिम चरण में घोषित करने की कवायद में जुटे हुए है।
छात्रों की समस्याओं जैसे हास्टल सुविधाएं, फीस में पारदर्शिता, सुरक्षा व्यवस्था और साउथ कैंपस से यूनिवर्सिटी सेंटर तक की कनेक्टिविटी को मुद्दा बनाकर चुनाव में संगठन दांव खेलते दिखाई दे रहे हैं। युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर चुनावी प्रचार चरम पर है।
वहीं, विरोधी संगठनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू कर दिया है, जिससे माहौल और ज्यादा गर्म हो गया है। छात्र संगठन जीत सुनिश्चित करने के लिए किसी भी तरह की रणनीतिक चूक से बचना चाहते हैं।
कुछ संगठनों ने घोषणापत्र जारी कर दिए है, तो कुछ पार्टी एक से दो दिन के भीतर अपना घोषणा पत्र जारी कर देंगी। इसके साथ प्रमुख दल सोमवार से मंगलवार के बीच उम्मीदवारों को लेकर नाम साफ कर देंगी। यूनिवर्सिटी कैम्पस पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग चुका है और सभी की निगाहें तीन सितंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं।
सभी नहीं, सिर्फ एक-दो पदों पर उतरेंगी कई पार्टियां
इस बार छात्रसंघ चुनाव में सभी संगठन पूरे पैनल उतारने के मूड में नहीं दिख रहे। कई छात्र संगठन सिर्फ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे बड़े पदों पर ही अपनी ताकत आजमाने की रणनीति बना रहे हैं। वहीं, कुछ दल गठबंधन की संभावना तलाशते नजर आ रहे हैं ताकि जीत की संभावना बढ़ाई जा सके।
चर्चा है कि दो से तीन संगठन केवल प्रमुख पदों पर ही उम्मीदवार उतारेंगे, जबकि बाकी पदों पर गठबंधन के जरिये समर्थन देंगे। इससे साफ है कि इस बार मुकाबला न केवल कांटे का होगा बल्कि पदवार समीकरण भी काफी दिलचस्प नजर आएंगे। ।

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