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सूडान की 165 किलो वजनी महिला की चंडीगढ़ में हुई सफल Knee Replacement सर्जरी

सूडान की राजधानी खार्तूम की रहने वाली सामिया अहमद 2005 में एलिफेंटियासिस से संक्रमित हो गई थी जिसे आमतौर पर हाथी पांव बीमारी कहा जाता है। मच्छरों द्वारा फैलने वाली इस दुर्लभ स्थिति में प्रभावित व्यक्ति के पैर और हाथ असामान्य रूप से सूज जाते हैं।

By DeepikaEdited By: Updated: Wed, 07 Sep 2022 10:38 AM (IST)
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चंडीगढ़ में 60 वर्षीय महिला की दोनों घुटनों की सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी। (जागरण)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। विश्व प्रसिद्ध ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. विक्रम शाह और उनकी टीम ने 165 किलोग्राम वजनी महिला की दोनों घुटनों की सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की है। सूडान की राजधानी खार्तूम की रहने वाली 60 वर्षीय सामिया अहमद 2005 में एलिफेंटियासिस से संक्रमित हो गई थी।

इसे आमतौर पर हाथी पांव बीमारी कहा जाता है। मच्छरों द्वारा फैलने वाली इस दुर्लभ स्थिति में प्रभावित व्यक्ति के पैर और हाथ असामान्य रूप से सूज जाते हैं। इस स्थिति के कारण उनका वजन तेजी से बढ़ने लगा। हमारे घुटने और कूल्हे के जोड़ पूरे शरीर का भार वहन करते हैं। मोटे व्यक्ति के घुटने और कूल्हे वजन के कारण तनाव में रहते हैं। इसके कारण घुटने का आस्टियोआर्थराइटिस बहुत मोटे लोगों में एक आम स्थिति है।

डाक्टर विक्रम शाह ने बताया कि सामिया के पैर में पहले भी दो फ्रैक्चर हुए थे। 2012 में उनके दाहिने पैर में निचली तीसरी टिबिया हड्डी (टखने से थोड़ी ऊपर की हड्डी) में फ्रैक्चर हुआ था। 2015 में उनके बाएं पैर प्राक्सिमल टिबिया (घुटने के ठीक नीचे की हड्डी) में फ्रैक्चर हो गया था।

उन्होंने पहले 5 आर्थोपेडिक सर्जरी करवाई थीं। इनमें से दो सूडान, दो यूएई और एक मिस्र में करवाई गई थी। पिछले कुछ महीनों से वे बिस्तर पर ही थी। घुटनों में तेज दर्द और बेचैनी के साथ थोड़ा चल-फिर सकती थीं। यह मामला अनोखा था, जिसने उनके घुटने के जोड़ों को गंभीर रूप से आर्थराइटिक बना दिया।

डा विक्रम शाह ने बताया हमने एक विशेष रिसर्फेसिंग टिबियल बेस प्लेट इम्प्लांट का उपयोग किया। इसका विशेष रूप से तब उपयोग किया जाता है जब पाप्क्सिमल टिबिया में पिछली सर्जरी में उपयोग किए गए इम्प्लांट से बाधा आती है। इस इम्प्लांट का भारत में पहली बार उपयोग किया गया है।

डा विक्रम ने बताया कि सामिया अहमद की नी रिप्लेसमेंट सफल रही है। वे अब चलने लगेंगी। चलने से होने वाले ब्लड सर्कुलेशन के कारण उनके हाथी पांव की तीव्रता में भी कमी आएगी।

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