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कैप्टन ने गन्ने का मूल्य 35 रुपये बढ़ाया, अब 360 रु. प्रति क्विंटल हुई दर, पंजाब में किसानों ने वापस लिया आंदोलन

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गन्ना किसानों के साथ वार्ता के दौरान गन्ने के मूल्य में 35 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा करने की घोषणा की है। इस पर किसानों ने भी आंदोलन वापसी की घोषणा कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 24 Aug 2021 05:43 PM (IST)
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सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का मुंह मीठा करते किसान।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब के गन्ना उत्पादक किसान संगठन के नेताओं व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच गन्ने के मूल्य को लेकर वार्ता हुई। इस दौरान कैप्टन ने गन्ने के स्टेट एग्रीड प्राइस में 35 रुपये और वृद्धि कर दी है। इससे पहले पंजाब सरकार ने कीमत में 15 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था। इससे किसान नाखुश थे। पेराई सीजन 2021-22 के लिए एसएपी में 35 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि से गन्ने की कीमत 360 रुपये हो जाएगी। यह पड़ोसी राज्य हरियाणा से 2 रुपये ज्यादा है। कैप्टन की घोषणा के साथ ही किसानों ने आंदोलन वापसी की घोषणा कर दी है। उन्होंने सीएम का मुंह भी मीठा कराया। 

बता दें, किसान कई दिनों से गन्ने के दाम में वृद्धि की मांग को लेकर सड़कों पर थे। किसानों ने राज्य में रेल व सड़क मार्ग जाम कर दिया था। इससे आ लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। किसानों की आंदोलन वापसी से लोगों को बड़ी राहत मिली है।  

इससे पहले भी किसान संगठनों व पंजाब सरकार के बीच वार्ता हुई थी, जो विफल रही। मामला गन्ने के लागत मूल्य को लेकर फंसा हुआ था। किसान संगठन गन्ने की लागत 388 रुपये बता रहे थे, जबकि पंजाब सरकार ने पिछले सप्ताह स्टेट एग्रीड प्राइस (एसएपी) में 15 रुपये की वृद्धि करके इसे 325 रुपये कर दिया था। किसान संगठनों ने इसे मामूली वृद्धि बताया, जिसके कारण किसान संगठनों ने जालंधर के पास धरना लगा दिया। इसके कारण माझा और दोआबा पंजाब के बाकी हिस्सों से कट गया। 

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से वार्ता करते किसान।

किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब में रेल व सड़क यातायात पटरी से उतर गया है। लोग परेशान हो रहे हैं।इससे पहले रविवार को किसान संगठनों ने पहले किसान भवन में बैठक की और एक प्रारूप तैयार कर पंजाब भवन में सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ बैठक करने के लिए पहुंचे थे। किसान संगठनों ने पहले गन्ना किसानों के बकाया करीब 200 करोड़ रुपये की मांग को रखा। जिस पर मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया कि निजी चीनी मिलें 15 दिन के भीतर उनका बकाया रकम का भुगतान कर देंगे, जबकि सरकारी मिलों का बनता 54.77 करोड़ रुपये का भुगतान सितंबर के पहले सप्ताह में दे दिया जाएगा। करीब दो घंटे से अधिक चली बैठक में मुख्य पेंच गन्ने के एसएपी को लेकर फंसा।

किसान संगठनों की यह भी आपत्ति थी कि 19 अगस्त को सरकार ने गन्ने के मूल्य में 15 रुपये की वृद्धि की घोषणा कर दी। इस दौरान किसान संगठनों के किसी भी प्रतिनिधि को बुलाया नहीं गया। किसानों ने इस वृद्धि को काफी कम बताया। किसान संगठनों का दावा था कि गन्ने की लागत 388 रुपये पड़ रही है। जिस पर सरकार तैयार नहीं हुई। इसे लेकर किसान संगठनों व सरकार के बीच बहस हुई।

भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के जगजीत सिंह ढल्लेवाल ने बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार को जब तक सरकार किसानों की मांग को नहीं मानती है तब तक धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अभी किसानों संगठनों ने गन्ने का औसत भाव 388 रुपये प्रति क्विंटल का भाव बताया है लेकिन अब सरकार को पूरे तथ्यों के साथ भाव बताए जाएंगे। किसान नेता ने सरकार को यह भी चुनौती दी कि जिस प्रकार से दिल्ली की सरकार को किसान संगठनों ने अपनी ताकत दिखा दी, उसी प्रकार पंजाब सरकार को भी दिखा देंगे। किसान इस बात पर अड़े थे कि उनकी सीएम से वार्ता कराई जाए। रंधावा ने बैठक से ही मुख्यमंत्री से की बातचीत की। आज किसानों व सीएम के बीच वार्ता हुई, जिसमें सीएम ने 35 रुपये और वृद्धि की घोषणा की। 

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