तनखैया होने के बाद भी सरदारी कायम रखने में कामयाब हुए सुखबीर बादल, बीबी जगीर कौर की हार से विपक्ष को तगड़ा झटका
सुखबीर बादल समर्थित हरजिंदरसिंह धामी की जीत ने शिरोमणि अकाली दल को ही नहीं बल्कि सुखबीर बादल को भी एक बड़ी राहत दी है। इस बार चुनाव में हरजिंदर सिंह धामी को हराने और अकाली दल को और कमजोर करने के लिए उनकी विरोधी पार्टियों ने भी पूरा जोर लगाया हुआ था। लेकिन पर्दे के पीछे रहकर सुखबीर बादल ने बाजी पलट दी।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। श्री अकाल तख्त साहिब से तनखैया होने के बाद जिस प्रकार से शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के अति नजदीकी विरसा सिंह वल्टोहा ने तख्तों के जत्थेदारों के प्रति अपशब्द बोले, उससे लग रहा था कि इस बार एसजीपीसी प्रधान पद के लिए अपना उम्मीदवार जितवाना मुश्किल होगा।
लेकिन पर्दे के पीछे रहकर जिस प्रकार से सुखबीर बादल ने अपने एसजीपीसी सदस्यों को अपने साथ बनाए रखा उसने हरजिंदर सिंह धामी की चौथी बार प्रधान बनने की राह आसान कर दी।
शिरोमणि अकाली दल में सुधार के लिए बनाए गए अलग ग्रुप को बीबी जगीर कौर की हार से तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि इस बार बीबी जगीर कौर को पिछले साल की अपेक्षा नौ वोट कम मिले हैं। हार के बाद उन्होंने जिस प्रकार से धामी समर्थक सदस्यों को मरी हुए जमीर वाले बताया है उससे साफ है कि शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर ग्रुप इस हार काफी निराश है।
शिरोमणि अकाली दल को बड़ी राहत
सुखबीर बादल समर्थित हरजिंदरसिंह धामी की जीत ने शिरोमणि अकाली दल को ही नहीं बल्कि सुखबीर बादल को भी एक बड़ी राहत दी है। इस बार चुनाव में हरजिंदर सिंह धामी को हराने और अकाली दल को और कमजोर करने के लिए उनकी विरोधी पार्टियों ने भी पूरा जोर लगाया हुआ था।
आज सुबह ही पार्टी के उपाध्यक्ष डा दलजीत सिंह चीमा ने अपने एक्स अकाउंट पर इंटेलिजेंस विभाग के उस गुप्त पत्र को सार्वजनिक कर दिया जिसमें इंटेलिजेंस विभाग ने बीबी जगीर कौर को 67 और हरजिंदर सिंह धामी को 57 वोट मिलने की संभावना जताई।
चीमा ने कहा कि हम भी सरकार में लंबा समय रहे हैं। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट्स इस तरह ईमेल की कॉपियां इस तरह से मुख्यमंत्री के ओएसडी व अन्य को नहीं जाती हैं। इस तरह की फाइलों को उच्च स्तर पर पुटअप किया जाता है। इसलिए जालासाजी करने से गुरेज करें या पहले किसी बेहतर इंटेलिजेंस अफसर से इन बातों को जरूर समझ लें।
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