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    चंडीगढ़ बारिश बनी आफत, सुखना लेक का जलस्तर पहुंचा 1162 फुट ऊपर; अलर्ट मोड पर प्रशासन

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Wed, 06 Aug 2025 03:28 PM (IST)

    वर्षा से चंडीगढ़ की लाइफलाइन कही जाने वाली सुखना लेक का जलस्तर खतरे के निशान के करीब है। इसी वजह से फ्लड गेट खोलकर सुखना चो में पानी छोड़ा जा रहा है। पंचकूला और मोहाली प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया गया है। ताकि बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए पहले ही तैयार रहा जाए।

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    सुखना लेक का जलस्तर 1162 फुट से ऊपर पहुंच गया है। यह खतरे के निशान के करीब है।

    बलवान करिवाल, चंडीगढ़ । लगातार हो रही वर्षा से चंडीगढ़ की लाइफलाइन कही जाने वाली सुखना लेक का जलस्तर 1162 फुट से ऊपर पहुंच गया है, जोकि खतरे के निशान के करीब है। इसी वजह से फ्लड गेट खोलकर सुखना चो में पानी छोड़ा जा रहा है।

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    पंचकूला और मोहाली प्रशासन को भी अलर्ट भेजा गया। सुखना चो से कई बार इन शहरों के कुछ एरिया में बाढ़ की स्थिति हो जाती है। इसलिए आबादी एरिया को सुखना चो से दूरी बनाए रखने की आदेश दिए गए हैं।

    चंडीगढ़ में भी सुखना चो के किशनगढ़, बापूधाम और इंडस्ट्रियल एरिया पुल पर पुलिस तैनात की गई है। हालांकि पानी उतना ही छोड़ा जा रहा है जितना पुल के ऊपर से न बहे। पहले एक साथ पानी छोड़ने से पानी पुल के ऊपर से बहने लगता था इससे ट्रैफिक भी रोकना पड़ता था।

    सीसीटीवी कैमरे से 24 घंटे हो रही निगरानी

    बढ़ते जलस्तर को देखते हुए यूटी प्रशासन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की टीम सीसीटीवी कैमरे के जरिये 24 घंटे लेक की मानीटरिंग कर रही है। पहले वर्षा के बाद मंगलवार रात को ही फ्लड गेट खोलने की संभावना बन रही थी। लेकिन वर्षा का प्रभाव कम होने पर बुधवार के लिए इसे टाला गया था।

    इन एरिया में खतरा

    सुखना चौ से होकर लेक का पानी घग्गर पहुंचता है। सुखना चौ चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया से होते हुए बलटाना के रास्ते घग्गर तक पहुंचती है। चौ के रास्ते में बापू धाम, इंडस्ट्रियल एरिया की कालोनी सहित कई रिहायशी एरिया पड़ते हैं। पहले कई बार बलटाना एरिया में बाढ़ की स्थिति बन चुकी है। एक बार तो बलटाना पुलिस चौकी तक बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गई थी।

    अब तक 505.3 मिलीमीटर वर्षा

    मानूसन सीजन शुरू होने के बाद अब चंडीगढ़ में 505.3 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। यह औसत से अधिक है। सुखना लेक का जलस्तर अप्रैल मई में कम होकर 1153 फुट तक पहुंच गया था। जो अब बढ़कर 1162 फुट को पार कर चुका है।

    पहले 1163 फुट पर खोले जाते रहे हैं फ्लड गेट

    1163 फुट सबसे ऊपर का छोर है। पहले फ्लड गेट 1163 फुट पर खोले जाते रहे हैं, लेकिन इस बार इन्हें1162 फुट पर ही खोला गया है। इसका कारण यह है कि ऊपर तक भरने पर ज्यादा पानी एक साथ छोड़ने से आगे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए पहले ही ऐहतियात बरतते हुए पानी छोड़ा जा रहा है।

    पानी का फ्लो लगातार जारी 

    सुखना लेक में पानी का मुख्य स्त्रोत वर्षा है। शिवालिक की पहाड़ियों में वर्षा ज्यादा हो रही है। पानी का फ्लो लगातार जारी है। सुखना लेक में कैचमेंट एरिया से वर्षा का पानी पहुंचता है। इस पानी के साथ जंगल की मिट्टी और कूड़ा पेड़ों के अवशेष भी पहुंचते हैं।

    लेक में पानी भंडारण की क्षमता हो रही कम

    पानी के बहाव के साथ आई मिट्टी लगातार लेक की तलहटी में जमा होती रहती है। इस गाद की वजह से लेक में पानी की भंडारण क्षमता कम हो रही है। गाद की वजह से ही लेक जल्दी भर जाती है। जिससे अब प्रत्येक वर्ष फ्लड गेट खोलने पड़ते हैं। पहले कई वर्ष के अंतराल में ऐसी नौबत आती थी।