Move to Jagran APP

'3 साल में एक भी मुकदमा नहीं', पराली जलाने पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट; पंजाब-हरियाणा के मुख्य सचिवों को किया तलब

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को तलब किया और उनसे पूछा कि राज्यों में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। शीर्ष अदालत ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने पर तलब किया है।

By Agency Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 16 Oct 2024 03:11 PM (IST)
Hero Image
Punjab News: पंजाब और हरियाणा सुप्रीम कोर्ट फाइल फोटो (जागरण न्यूज)
एजेंसी, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को तलब किया और उनसे पूछा कि राज्यों में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। शीर्ष अदालत ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने पर तलब किया।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया कि पंजाब और हरियाणा राज्य उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने में अनिच्छुक क्यों हैं और पराली जलाने के लिए महज मामूली जुर्माना ही क्यों वसूला जा रहा है।

तीन वर्षों में एक भी मुकदमा नहीं किया गया दायर

न्यायमूर्ति ओका की अगुवाई वाली पीठ ने टिप्पणी की कि पिछले तीन वर्षों में आपने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है। केवल नाममात्र का जुर्माना लगाया गया है। इस बाबत कुछ भी क्यों नहीं किया गया है।

बता दें कि सीएक्यूएम एक वैधानिक निकाय है जिसे दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए रणनीति तैयार करने का काम सौंपा गया है।

सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के नियंत्रण से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। सीएक्यूएम ने हाल ही में एक निर्देश जारी कर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर क्षेत्रों के जिलाधिकारियों को पराली जलाने के नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार दिया है।

मामूली जुर्माना वसूलने पर उठाए सवाल

पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने धान की पराली जलाने वाले किसानों से मामूली जुर्माना वसूलने पर सवाल उठाए थे। यह देखते हुए कि पराली जलाने को लेकर एक भी अभियोजन मामला नहीं चलाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं करने पर सीएक्यूएम की खिंचाई की। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए सीएक्यूएम को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।

साल 2020 में हुई थी सीएक्यूएम की स्थापना

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए 2020 में सीएक्यूएम की स्थापना की गई थी ताकि वायु गुणवत्ता सूचकांक के आसपास की समस्याओं का बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान किया जा सके। हर साल, दिल्ली और पूरे एनसीआर को अक्टूबर से दिसंबर तक वायु प्रदूषण का खामियाजा भुगतना पड़ता है जिसका मुख्य कारण फसल अवशेष जलाना है।

यह भी पढ़ें- कहीं गोलीबारी तो कहीं बैलेट बॉक्स ही लेकर भाग गए लोग, पंजाब के पंचायत चुनाव में जमकर हुआ बवाल

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।