चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण में फंसा पेच
चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण मामले में एक बार फिर पेच फंसता नजर आ रहा है। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यूटी प्रशासन से जवाब तलब किया। पूछा है कि जिस पॉलिसी के तहत शहर के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है वह तो अभी महज ड्राफ्ट पॉलिसी है।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 28 Mar 2022 08:24 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ :
चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण मामले में एक बार फिर पेच फंसता नजर आ रहा है। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यूटी प्रशासन से जवाब तलब किया। पूछा है कि जिस पॉलिसी के तहत शहर के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, वह तो अभी महज ड्राफ्ट पॉलिसी है। अभी तो उसकी नोटिफिकेशन तक नहीं हुई है। चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ के समक्ष जवाब के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से एक एडवोकेट पेश हुए थे, लेकिन हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में जवाब चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिग काउंसिल अनिल मेहता ही देंगे। वह भी हलफनामा दायर कर। उसके बाद ही इस मामले में आगे निर्देश दिए जा सकते हैं।
यूटी पावरमैन यूनियन की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अश्वनी चोपड़ा ने हाई कोर्ट को बताया कि केंद्र कि जिस पॉलिसी के तहत चंडीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है, वह स्कीम तो अभी महज ड्राफ्ट पॉलिसी है। उसको तो अभी अंतिम रूप दिया ही नहीं गया है। अगर निजीकरण किया ही जाना ही है तो पहले पुडुचेरी के बिजली विभाग का किया जाना चाहिए था जो घाटे में चल रहा है। जबकि चंडीगढ़ का बिजली विभाग को लाभ में चल रहा है, उसके निजीकरण की क्या जरूरत है। प्रशासन ने जवाब के लिए मांगी मोहलत
इस पर हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से जवाब मांगा तो प्रशासन ने जवाब दिए जाने के लिए कुछ समय दिए जाने की मांग की। अब हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है। हाई कोर्ट की दो टूक : याचिका लंबित रहने तक आगे नहीं बढ़ाई जाएगी निजीकरण की प्रक्रिया हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि निजीकरण की प्रक्रिया पर आगे कोई भी कार्रवाई करने पर चंडीगढ़ प्रशासन पहले ही यूनियन से समझौते के दौरान आश्वासन दे चुका है। ऐसे में अब इस याचिका के हाई कोर्ट में लंबित रहने तक निजीकरण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। बता दें कि शहर के बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने एक दिसंबर 2020 को रोक लगा दी थी। इसके बाद प्रशासन ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को हाई कोर्ट के रोक के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही हाई कोर्ट को मामले का तीन माह में निपटारा करने के आदेश दे दिए थे। मगर हाई कोर्ट ने 10 जून को एक और अर्जी पर सुनवाई करते हुए बिजली विभाग के निजीकरण पर फिर रोक लगा दी थी। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस आदेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के 10 जून के आदेश पर रोक लगा दी थी।
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