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चंडीगढ़ में रिओपनिंग के बाद टाइमिंग के फेर में फंसे सरकारी स्कूल, टीचर और स्टूडेंट्स परेशान

चंडीगढ़ में एक ही सेक्टर में दो स्कूल हैं जिसमें से एक का वर्किंग टाइम दो घंटे का है जबकि दूसरे का चार या पांच घंटे का। ऐसे में अभिभावकों के लिए परेशानी बनी हुई है कि बच्चे काे किसके भरोसे पर स्कूल भेजें और कैसे उन्हें सुरक्षित समझें।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 24 Sep 2020 04:25 PM (IST)
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चंडीगढ़ में एक सी सेक्टर के दो स्कूलों मेें अलग-अलग वर्किंग टाइम अपनाया जा रहा है।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। शिक्षा विभाग ने कोरोना महामारी के दौरान छह महीने से बंद पड़े स्कूलों को 21 सितंबर को खोल दिया लेकिन वर्किंग टाइमिंग तय करना भूल गया। इस कारण शहर के सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स और टीचर्स परेशानी में है। एक ही सेक्टर में दो स्कूल हैं जिसमें से एक का वर्किंग टाइम दो घंटे का है जबकि दूसरे का चार या पांच घंटे का। ऐसे में अभिभावकों के लिए परेशानी बनी हुई है कि बच्चे काे किसके भरोसे पर स्कूल भेजें और कैसे उन्हें सुरक्षित समझें। दूसरी ओर, टीचर्स भी सवाल उठा रहे हैं कि एक जगह टीचर उतने ही काम के लिए दो घंटे के लिए स्कूल आ रहा है जबकि दूसरे में पांच घंटे रुकना पड़ रहा है।

स्कूल खुलने के बाद टाइमिंग नहीं हुई थी तय

शहर के सरकारी स्कूलों को खोलने के लिए एमएचए की गाइडलाइन अनुसार गूगल फाॅर्म लांच किया गया था। जिसे नौवीं और बारहवीं कक्षा के स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने भरना था। 25 हजार स्टूडेंट्स ने फॉर्म को भरा था और 16 हजार ने स्कूल खोलने के लिए हामी भरी थी। इसके बाद विभाग ने तय किया था कि स्कूल में पचास प्रतिशत टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ आएगा और स्टूडेंट्स जरूरत के अनुसार अकेले-अकेले स्कूल आ सकेंगे। जिस स्टूडेंट्स को स्कूल आना है वह अभिभावक और टीचर से लिखित में परमिशन लेगा। इसके बाद वह क्लास में आ सकता है।

दसवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स लगातार आ रहे स्कूल

21 सितंबर से खुले स्कूलों में स्टूडेंट्स ने आना शुरू कर दिया है। इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ज्यादातर स्टूडेंट्स बोर्ड क्लासों के आ रहे है। स्कूल पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को घर में पढ़ाई करने में दिक्कतें हैं, इसी कारण वह स्कूल पहुंच रहे हैं।

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