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राजा रणजीत सिंह की सोच और गुरु नानक देव के सफर को दिखाया टेलीफिल्म में

महाराजा रणजीत सिंह की सोच और गुरु नानक देव की चार उदासियों के साथ देश और विदेश में स्थापित सिख गुरुओं को दर्शाते हुए 24 फिल्मों की टेलीकास्ट की गई।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 21 Feb 2022 12:12 AM (IST)
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राजा रणजीत सिंह की सोच और गुरु नानक देव के सफर को दिखाया टेलीफिल्म में

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : महाराजा रणजीत सिंह की सोच और गुरु नानक देव की चार उदासियों के साथ देश और विदेश में स्थापित सिख गुरुओं को दर्शाते हुए 24 फिल्मों की टेलीकास्ट की गई। टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में आयोजित सिख लेंस फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण में सिख इतिहास को दर्शाया गया। फेस्टिवल की शुरुआत पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब से हुई, उसके बाद ओडीशा, चीन और तिब्बत, ईरान, अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान के करतारपुर तक चार उदासियों को पेश किया गया। टेलीफिल्म में दिखाया गया कि वर्तमान में ननकाना साहिब की क्या स्थिति है और किस प्रकार से उसे स्थानीय प्रबंधकों और सेवादारों ने सहेजा है। इसी तरह से भारत से लेकर ईरान और अफगानिस्तान में मौजूद सिख गुरुद्वारों और इतिहास को बताया गया। शासक नहीं राजा कहलाना चाहते थे महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह पर टेलीफिल्म को पाकिस्तान में स्थित किले में तैयार किया गया था। फिल्म में महाराजा रणजीत सिंह की सोच को दिखाया गया है कि वह खुद को शासक के बजाए राजा कहलाना ज्यादा पसंद करते थे। महाराजा रणजीत सिंह का विचार था कि राज में हर कोई खुश और सुखी होना चाहिए तभी राज्य तरक्की कर सकता है। विचार चर्चा के साथ सिखों की लगी प्रदर्शनी

एक दिवसीय फेस्टिवल में विभिन्न लेखकों की करीब एक हजार से ज्यादा पुस्तकों को प्रदर्शनी के तौर पर डिस्प्ले किया गया था। इसके अलावा सिख इतिहास से जुड़े सिक्के और विरासत को दिखाती हुई पेटिग्स और फोटोग्राफी को भी दिखाया गया। पुस्तक प्रदर्शनी के अलावा फूड्डी और कुलदीप सिंह चांदपुरी पर लिखित पुस्तक पर विचार चर्चा हुई।

गतका प्रदर्शन के साथ तृप्त सिंह और फौजा सिंह ने दिखाया शौर्य

फेस्टिवल के अंतिम हिस्से में पंजाबियत की पहचान गतका को पेश किया गया। उसी के साथ शहर के तृप्त सिंह और फौजा सिंह ने टैगोर के मंच पर शहरवासियों को खुद के शौर्य और हौंसले से अवगत कराया।

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