मनोनीत पार्षदों की घोषणा से पहले कई दावेदारों के टूटे सपने...पढ़े चंडीगढ़ की और भी रोचक खबरें
मनोनीत पार्षदों की घोषणा से पहले चंडीगढ़ में राजनीति तेज हो गई है। संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आने पर कई दावेदारों के दिल टूट गए हैं। वहीं गलियारे में चर्चा है कि अधिकतर भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के करीबी हैं।
By Rajesh DhallEdited By: DeepikaUpdated: Mon, 17 Oct 2022 08:33 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मनोनीत पार्षदों की घोषणा प्रशासन जल्द करने वाला है। घोषणा से पहले ही संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं। ऐसे में कई दावेदारों के सपने टूट गए हैं। सबसे ज्यादा खलबली भाजपा में मची हुई है। मनोनीत पार्षदों की सूची पहले ही साढ़े नौ माह की देरी से जारी हो रही है। अब जिनके नाम सूची में नहीं हैं, वह चाह रहे हैं कि और देरी हो। इनमें से कई दावेदारों को बधाइयां मिलनी भी शुरू हो गई हैं।
चर्चा है कि इस बार शहर के चर्चित संगठनों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। संभावित नामों की चर्चा सामने आने के बाद कई नेता बोल रहे हैं कि अधिकतर भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के करीबी हैं। मनोनीत पार्षद बनवाने में सूद की चली है। विरोधी सूची सामने आने के बाद मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नेताओं को भी मनोनीत पार्षद बनने की उम्मीद थी, मगर उनके भी दिल टूट गए हैं। कांग्रेस के नेता जरूर खुश हैं।
मेयर को ज्यादा तवज्जो
पिछले दिनों एयर शो और उसके बाद प्रशासन के नए सचिवालय भवन का उद्घाटन हुआ। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। सरकारी आयोजनों में प्रशासन ने सांसद से ज्यादा मेयर सरबजीत कौर को तवज्जो दी। इससे अधिकारियों को सांसद की नाराजगी का सामना करना पड़ा। प्रशासन इसे प्रोटोकोल का हवाला दे रहे हैं। मगर कई नेता इसे अफसरशाही से जोड़कर देख रहे हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचल रैली में जाने से पहले चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्होंने मेयर सरबजीत कौर से कहा कि अच्छा काम करें। आपको अभी लंबे समय तक काम करना है। गपशप करते हुए मेयर के करीबी नेता इसके कई राजनीतिक मायने निकालने लगे हैं। वह पीएम मोदी की इस बात का ज्यादा प्रचार कर रहे हैं।
यह कैसे डेलीगेट
कांग्रेस में जो नेता प्रदेश कार्यकारिणी का डेलीगेट बने हैं, वह अपने आप में गर्व महसूस कर रहे हैं। सोमवार को होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान का मौका मिल रहा ह। कई डेलीगेट ऐसे भी हैं, जिन्होंने सदस्यता अभियान की एक भी कापी नहीं भरी है, लेकिन उन पर सीनियर नेताओं की मेहरबानी हो गई। कई नेता राजनीति के शिकार भी हुए हैं। जिन्होंने सदस्यता अभियान की कापियां भरीं, लेकिन उन्हें डेलीगेट नहीं बनाया गया।सीनियर नेता उनसे नाराज चल रहे हैं। जब सदस्यता अभियान शुरू हुआ था तक यह दावा किया गया था कि जो सदस्यता अभियान की कापियां नहीं भरेगा उन्हें पार्टी में कोई पद नहीं दिया जाएगा। दावों की हवा निकल गई है। जब सदस्यता अभियान शुरू हो गया था तो पार्टी की तरफ से नेताओं को बार-बार फोन कर कापियां भरने के लिए कहा जाता था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।