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Udham Singh Death Anniversary: जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने वाले सरदार उधम सिंह को आज हुई थी फांसी

सरदार उधम सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए 1931 में पंजाब के गवर्नर जनरल रहे ब्रिटिश अधिकारी माइकल ओडायर की गोली मारकर हत्या की थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। बैसाखी पर जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश सेना के ने राॅलेट एक्ट के खिलाफ शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी।

By Nidhi VinodiyaEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Mon, 31 Jul 2023 04:39 PM (IST)
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जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने वाले सरदार उधम सिंह को आज हुई थी फांसी

चंडीगढ़, जगरण डिजिटल डेस्क। देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन शूरवीरों में पंजाब के भी कई जांबाज शामिल थे, जिनमें से एक थे सरदार उधम सिंह (Sardar Udham Singh)। सरदार उधम सिंह ने जलियांवाला बाग (Jaliyanwalan Bagh) में भारतीयों का कत्लेआम करने वाले जनरल माइकल ओ' ड्वायर (Michael O'Dwyer) की गोली मारकर हत्या करके अमृतसर (Amritsar) में बैसाखी पर हुए नरसंहार का बदला लिया था।

1940 में हुई थी फांसी

सरदार उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई थी। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh massacre) का बदला लेते हुए 1931 में पंजाब के गवर्नर जनरल रही चुके अंग्रेज अफसर माइकल ओ डायर को गोली मारी थी। जिसके बाद आज ही के दिन उन्हें फांसी दी गई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 में हुआ था।

जलियांवाला बाग में बरसाई गई थी अंधाधुंध गोलियां

अमृतसर में बैसाखी के दिन रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल डायर के आदेश के बाद अंग्रेजी फौज की एक टुकड़ी ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी, जिसमें 1200 से भी ज्यादा पंजाब के लोग घायल हुए थे। कई महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों ने अपनी जान बचाने के लिए एक कुएं में छलांग लगा दी थी। लोगों की मौत हो गई। 1000 से ज्यादा बच्चे व महिलाओं की जाने गई।

Sardar Udham Singh Killed Michael O'Dwyer

अंग्रेज अफसर ''Michael O'Dwyer'' को उतारा था मौत के घाट

इस नरसंहार का बदला सरदार उधम सिंह ने 21 साल बाद 13 मार्च 1940 में लंदन में लिया। सरदार उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल में जाकर माइकल ओ डायर को गोली मारी थी। ये बदला सरदार उधम सिंह ने उस समय लिया जब जनरल डायर ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक खास बैठक में भाषण दे रहे थे। गोली लगने के बाद देखते ही देखते जनरल डायर ने दम तोड़ दिया।

फांसी के पहले चला था मुकदमा

लंदन के कैक्सटन हॉल में सरदार उधम सिंह जनरल डायर को मारने के लिए छुपा के रिवाल्वर लेकर गए थे। इस घटना को अंजाम देने के बाद सरदार को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद उन पर मुकदमा चला और 31 जुलाई 1940 को सरदार उधम सिंह को फांसी दे दी गई।

जलियांवाला बाग नरसंहार के वक्त मौजूद थे सरदार उधम सिंह

इस घटना को अंजाम देने के पीछे का कारण ये भी था कि जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार के समय सरदार उधम सिंह उस जगह वहां पर मौजूद थे। जिसके बाद सरदार ने कसम खा ली थी कि उन्हें इस नरसंहार का बदला लेना है। इस नरसंहार के बाद सरदार उधम सिंह के अंदर गुस्सा और बदले की भावना जगा दी थी। बस फिर क्या था। उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता की लड़ाई में लग गए।

सीने में जल रही थी बदले की आग

दरअसल, सरदार उधम सिंह ने अमृतसर में हुए नरसंहार का जिम्मेदार रहे जनरल डायर और पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर से बदला लेने का फैसला कर लिया था। 1927 में तो जनरल डायर की मौत हो गई थी, लेकिन माइकल ओ डायर अभी जिंदा थे। जिसके बाद सरदार उधम सिंह ने फैसला किया कि वह लंदन जाएंगे और माइकल ओ डायर से अमृतसर में हुए नरसंहार का बदला लेकर रहेंगे।

वह 6 सालों तक लंदन में रहे और 13 मार्च 1940 में सरदार उधम सिंह को उस नरसंहार का बदला लेने का मौका मिल ही गया।