Chandigarh Politics: मेयर चुनाव में जीत और हार भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का भविष्य करेगी तय, जानिए कारण
Chandigarh Politics अरुण सूद को एक्सटेंशन आगे मिलने की उम्मीद है। नगर निगम में भाजपा के कुल 14 पार्षद है। आप के 14 कांग्रेस के छह और अकाली दल का एक पार्षद है। इस समय अरुण सूद संगठन को और ज्यादा मजबूत करने में लगे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Chandigarh Politics: भाजपा में इस समय बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि नया प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द हो जाएगी। जबकि वर्तमान अध्यक्ष अरुण सूद को एक्सटेंशन आगे मिलने की उम्मीद है। सूद को अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बने हुए तीन साल हो चुके हैं। जबकि अगले साल जनवरी माह में मेयर का चुनाव होना है।इस बार मेयर की कुर्सी पर फिर से कब्जा करने के लिए भाजपा को कई चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर चुनाव का किया था बहिष्कार
ऐसे में अगर अरुण सूद इस पर बने रहते हैं तो उनके लिए फिर से मेयर का चुनाव जीतना एक बड़ी चुनौती रहेगी क्योंकि इस साल जनवरी माह में हुए मेयर का चुनाव भाजपा ने काफी मुश्किल से जीता था क्योंकि उस समय कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर चुनाव का बहिष्कार दिया था। पार्टी अपने पार्षदों को लेकर जयपुर चले गए थे। जबकि सूद के विरोधी पार्टी हाईकमान को यह दावा कर रहे है कि अगर सूद को अध्यक्ष पद से हटा दिया जाता है कि आप और कांग्रेस से दो पार्षद टूट कर आ जाएंगे और मेयर का चुनाव जीतना भाजपा के लिए आसान हो जाएगा। फिर से मेयर चुनाव की जीत और हार भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी का भविष्य तय करेगी।
अरुण सूद संगठन को और मजबूत बनाने में जुटे
इस समय नगर निगम में भाजपा के कुल 14 पार्षद है। आप के 14, कांग्रेस के छह और अकाली दल का एक पार्षद है। इस समय भाजपा के अध्यक्ष अरुण सूद संगठन को और ज्यादा मजबूत करने में लगे हुए हैं। पार्टी के ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जल्द ही प्रशासन की ओर से मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति की जानी है। अध्यक्ष सूद चाहते है कि उनके समर्थक ज्यादा से ज्यादा मनोनीत पार्षद बने।इस बार मेयर चुनाव में कांग्रेस बहिष्कार नहीं करने जा रही है।
आप और कांग्रेस हाे सकती है एक
राजनीति गलियारों में यह चर्चा है कि मेयर चुनाव के लिए भाजपा को रोकने के लिए आप और कांग्रेस एक साथ हो जाएगी। ऐसा होने पर कांग्रेस और आप के पार्षदों की संख्या मिलकर 20 हो जाएगी और भाजपा के पास जीत का आकड़ा नहीं है।लेकिन भाजपा इससे पहले जोड़ तोड़ की राजनीति कर सकती है।अध्यक्ष सूद फिर से मेयर का चुनाव जीतकर पार्टी हाईकमान में अपना दम दिखाना चाहते हैं।