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पंजाब में हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली की राह आसान, पछवाड़ा कोयला खदान पावरकॉम के लिए बनी सोने की खान

पछवाड़ा कोयला खदान पंजाब सरकार के लिए सोने का खान बन गई है। अब तक पावरकॉम ने 33 लाख मीट्रिक टन से अधिक कोयले का खनन कर राज्य के पॉवर थर्मल प्लांटों में लाने के ऑपरेशन से सरकार को 564 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ हुआ है। इसके विपरीत पिछले साल इसी अवधि के दौरान पावरकॉम ने 1800 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Sat, 21 Sep 2024 04:21 PM (IST)
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सात साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मिली पछवाड़ा कोयला खदान।

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब की भगवंत सिंह मान की सरकार ने न सिर्फ आम उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट फ्री बिजली दी बल्कि इसके राह को भी आसान बनाया। भगवंत सिंह मान की सरकार ने झारखंड स्थित पंजाब को अलॉट हुई पछवाड़ा कोयला खदान जो कि वर्षों तक बंद थी, उसमें खदान का काम शुरू करवाया। पंजाब सरकार ने लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई को जीता।

पछवाड़ा कोयला खदान पंजाब सरकार के लिए सोने का खान बन गई है। अब तक पावरकॉम ने 33 लाख मीट्रिक टन से अधिक कोयले का खनन कर, राज्य के पॉवर थर्मल प्लांटों में लाने के ऑपरेशन से सरकार को 564 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ हुआ है। इसके विपरीत पिछले साल इसी अवधि के दौरान पावरकॉम ने 1800 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था।

सात साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मिली

पछवाड़ा कोयला खदान से इसी तरह कोयला आता रहा तो पावरकॉम आने वाले कुछ समय में ही अपने घाटों को पूरा कर लेगा। जो उसे महंगा कोयला खरीदने के कारण हुआ है।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान कहते हैं ‘पंजाब के बिजली विभाग ने सात साल से बंद पड़ी हुई पछवाड़ा कोयला खान को फिर से चलाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की। मानसून के सीजन में जब भारी बरसातें होती थीं तो आए दिन थर्मल प्लांटों को कोयले की कमी से जूझना पड़ता था लेकिन ऐसा पहली बार पंजाब के पास पर्याप्त मात्रा में कोयला है।’

यही कारण है कि पंजाब का एक भी थर्मल प्लांट कोयले की कमी के कारण बंद होने की कगार पर नहीं पहुंचा है। जबकि पहले यह खबरें सुर्खियों में बनी रहती थी कि थर्मल प्लांटों के पास एक दिन या दो दिन का ही कोयला शेष रह गया है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान कहते हैं ‘अब पंजाब की अपनी कोयला खदान अपनी पूरी क्षमता से चल रही है। थर्मल प्लांटों अच्छा कोयला मिल रहा है। इसका असर उत्पादन पर भी दिखता है।’