Ravneet Singh Bittu Profile: कांग्रेस को झटका देने वाले कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू, दादा हुए थे खालिस्तानी आतंकियों के शिकार
कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे रवनीत सिंह बिट्टू ने पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बिट्टू परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ है। उनके दादा स्वर्गीय बेअंत सिंह राज्य के पूर्व सीएम रहे हैं जिनकी खालिस्तानियों ने बम से उड़ा कर हत्या कर दी थी। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले रवनीत सिंह बिट्टू के बीजेपी में शामिल होने से तगड़ा झटका लगा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस से तीन बार सांसद सदस्य रहे रवनीत सिंह बिट्टू ने पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लिया है। बिट्टू राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते है। ध्यान रहे कि बेअंत सिंह 31 अगस्त 1995 को खालिस्तानी आतंकियों ने कार को बम से उड़ा कर हत्या कर दिया था। बेअंत सिंह साल 1992 से 1995 तक मुख्यमंत्री रहे थे। रवनीत सिंह बिट्टू को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।
आनंदपुर साहिब से जीते पहला चुनाव
रवनीत सिंह बिट्टू पहली बार आनंदपुर साहिब से 2009 में चुनाव जीते थे। उसके बाद 2014 में सीट बदल कर लुधियाना आ गए। क्योंकि इस सीट से सीटिंग सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव नहीं लड़ा था। उसके बाद वह लगातार दो बार से सांसद चुने जा रहे है। बेअंत सिंह परिवार को सदैव हिंदू मतदाताओं का समर्थन मिलता रहा है। इसलिए भाजपा ने रवनीत बिट्टू पर दांव खेला है। रवनीत बिट्टू के भाई गुरकिरत कोटली पंजाब की पूर्व चरणजीत चन्नी सरकार में में मंत्री रहे हैं। लेकिन 2022 में गुरकिरत कोटली चुनाव हार गए थे।
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साल 2019 में लुधियाना में हासिल की थी जीत
बिट्टू लुधियाना से 2019 लोकसभा चुनाव में चुने 70,000 से अधिक मतों के अंतर से जीते थे। वहीं 2014 में उन्होंने 20 हजार मतों से जीत हासिल की थी। जबकि 2009 में उन्होंने आनंदपुर साहिब से सीट से 60,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2009 में उन्होंने पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में पंजाब के युवाओं में मादक पदार्थों की लत के खिलाफ अभियान शुरू किया। 2009 में उन्होंने पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में पंजाब के युवाओं में नशे की लत के खिलाफ अभियान शुरू किया था।
दादा बेअंत सिंह की कर दी गई थी हत्या
बेअंत सिंह का जन्म लुधियाना जिले के दोराहा के पास बिलासपुर गांव में हुआ था। साल 1947 के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। पंजाब की राजनीति में बेअंत सिंह एक बड़ा नाम बन गए। वहीं, 31 अगस्त 1995 को चंड़ीगढ़ में सचिवालय परिसर में एक बम विस्फोट में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई। इस आत्मघाती विस्फोट में उनके साथ ही तीन कमांडो सहित 17 अन्य लोगों की जान चली गई थी।ये भी पढ़ें: Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, लुधियाना सांसद रवनीत सिंह बिट्टू हुए बीजेपी में शामिल
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