आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी को पुण्यतिथि पर कविताओं से किया नमन
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि पर बुधवार को ऑनलाइन गोष्ठी कराई गई।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि पर बुधवार को ऑनलाइन गोष्ठी कराई गई। जिसमें शहर के विभिन्न कवियों ने भाग लिया। कवियों ने आचार्य द्विवेदी के साहित्य में डाले गए योगदान पर प्रकाश डालते हुए उनकी विभिन्न रचनाओं को भी पेश किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कवि प्रो. अशोक सभरवाल मौजूद रहे, जिन्होंने बताया कि आचार्य द्विवेदी की लेखनी समकालीन साहित्य को दर्शाने के साथ-साथ भविष्य की भी कल्पना करती थी, जो कि उनका बेहतरीन स्वरूप था। प्रोफेसर अशोक सभरवाल ने आचार्य हजारी प्रसाद की लिखी गई विभिन्न कविताओं को पढ़ने के बाद खुद की लिखी हुई कविताओं को सुनाया। उनके बाद कवियत्री किरण वालिया, नीरू मित्तल, विनोद शर्मा सहित करीब 50 कवियों ने खुद की लिखी हुई कविताओं को पेश किया।
इन कविताओं को किया गया पेश
डा. किरण वालिया ने एक स्त्री की छोटी सी चाहत 'चाय की एक प्याली' को शब्दों में बांधा। वहीं, डा. विनोद शर्मा ने 'दिन जीवन के यूं ही महक जाते सुकर्म करते महक फैलाते' सुनाई। अपनी कविता में प्रेम विज ने मां और बच्चे के रिश्ते को अपरिभाषित बताया और सफेद कपड़ों में घूमते हुए फरिश्तों का जिक्र किया। डा. अनीश गर्ग ने कविता 'इतना आसान नहीं होता विरह के गीत लिखना' सुनाई। डा. प्रज्ञा शारदा ने अपनी कविता 'बुद्ध तुम कहां हो' सुनाई। डा. सरिता मेहता ने 'बड़ा कशमकश का दौर है ना कहीं ओर ना कहीं छोर है' प्रस्तुत की। नीरू मित्तल नीर ने 'जिदगी तेरे प्रश्नपत्र इतने मुश्किल क्यों हैं' सुनाई।