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Yoga: अनिंद्रा रोग के लाभकारी है नटराज आसन, मानसिक व शरीरिक विकारों को दूर करने में सहायक

तमाम मानसिक विकारों से निजात पाने के लिए नटराज आसन काफी लाभकारी है। सेक्टर -23 गवर्नमेंट योग एजुकेशन एंड हेल्थ के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि इस योग मुद्रा से शरीर को संतुलित करने में मदद मिलती है।

By Ankesh ThakurEdited By: Updated: Tue, 01 Jun 2021 09:41 AM (IST)
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अनिंद्रा रोग के लिए यह आसन अति लाभकारी है।

चंडीगढ़, जेएनएन। तमाम मानसिक विकारों से निजात पाने के लिए नटराज आसन काफी लाभकारी है। नटराज आसन को भगवान शिव का आसन भी माना जाता है, इसलिए इस आसन को नटराज आसन कहा जाता है।

सेक्टर -23 गवर्नमेंट योग एजुकेशन एंड हेल्थ के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि इस योग मुद्रा से शरीर को संतुलित करने में मदद मिलती है। यह आसन मानसिक व शरीरिक विकारों को दूर करता है। अनिंद्रा रोग के लिए यह आसन अति लाभकारी है।

नटराज आसन करने की विधि

  • सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं।
  • अब आप अपने दायां पैर को उठाएं, उसे घुटनों से मोड़ें तथा जितना संभव हो पीठ के पीछे ले जाएं।
  • दोनों बांहों को सामने से ऊपर उठाएं, फिर उन्हें पीछे ले जाएं।
  • अब आप बाएं पांव पर खड़े रहते और अपने संतुलन बनाते हुए दाएं पैर को दोनों हाथों से पकड़कर जितना संभव हो सिर के ऊपर ले जाएं।
  • ध्यान रहे आपका सिर स्थिर और दृष्टि सामने हो।
  • जहाँ तक हो सके इस अवस्था को बनाये रखें और फिर धीरे धीरे आरंभिक स्थिति में आ जाएं।
  • यह आधा चक्र हुआ।
  • इसी तरह से आप बायें पैर से भी इसे करें।
  • अब एक चक्र पूरा हुआ।
  • इस तरह से आप 5 से 7 चक्र करें।

टराज आसन करते समय रखें यह सावधानियां

  • जिन्हें घुटनों में बहुत दर्द हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • साइटिका के रोगियों को इससे परहेज करना चाहिए।
  • रीढ़ की हड्डी में कोई परेशानी हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।

नटराज आसन करने के फायदे

  • शरीर को सुडौल व मजबूत बनाने में सहायक।
  • तनाव को कम करता है।
  • एकाग्रता को बढ़ाता है।
  • घुटने की दर्द को कम करता है।
  • पैरों को मजबूत बनाता है।
  • याद्दाश्त बढ़ाने में मदद करता है।
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