25 हजार करोड़ की संपत्ति के विवाद के बीच फरीदकोट राजमहल पर कब्जे की कोशिश, भारी हंगामा
फरीदकोट राजघराने में 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों को लेकर विवाद आज भ़डक गया। राजपरिवार के एक गुट ने राजमहल पर कब्जा करने की कोशिश की।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 10 Jul 2020 04:35 PM (IST)
फरीदकोट, जेएनएन। यहां फरीदकोट रियासत के अंतिम राजा हरिंदर सिंह बाजवा के वारिस को लेकर जारी विवाद ने आज नया मोड़ ले लिया। एक ग्रुप के लोगों ने राजमहल पर कब्जे की कोशिश की। सात लोगों ने वहां तैनात गार्डों को बाह निकाल दिया और महल पर कब्जा करने की कोशिश की। इसके बाद मौक पर पुलिस पहुंच गई और कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों को हटा दिया। इस घटना से माहाैल गर्मा गया।
राजमहल के गेट पर तैनात गार्डो को भगाया, अंदर घुसे, दो थानों के पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे डीएसपीबता दें कि राजा हरिंदर सिंह कर 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों को लेकर उनके घराने के दो ग्रुपों के बीच घमासान मचा हुआ है। एक ग्रुप पर जाली वसीयत बनाकर संपत्ति पर कब्जा करने को लेकर केस भी दर्ज किया गया है। अब इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) बनाई गई है।
कब्जे की कोशिश के बाद राजमहल परिसर में तैनात पुलिस।
शुक्रवार करीब सात लोग राजमहल पहुंचे और वहां तैनात गार्डों को हटाने लगे। इसके बाद उन्होंने राजमहल पर कब्जा करने की कोशिश की। इससे वहां हंगामा मच गया। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने तुरंत वहां पहुंचकर कब्जा करने आए लोगों को हटाया और राजमहल पर कब्जा करले की कोशिश को विफल कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों में विवाद हो गया और दोनों थाने पहुंच गए। फरीदकोट रियासत की देखभाल कर रहे महारावल खीवा जी ट्रस्ट सीईओ डीआईजी जांगीर सिंह भी पहुंचे। डीएसपी और अन्य अधिकारी दो थाने के पुलिसकर्मियों के साथ राजमहल पहुंचे।
25 हजार करोड़ रूपये की मालकियत वाली फरीदकोट रियासत के मालिकाना हक का मामला अदालत में चल रहा है। शुक्रवार को दोपहर तीन बजे के लगभग सात लोगों द्वारा राजमहल पर कब्जा करने का प्रयास किया किया गया। कब्जे की सूचना पर पहुंची, पुलिस ने कब्जा करने पहुंचे लाेगों को अपने साथ सिटी थाना फरीदकोट ले जाने के साथ पुलिस के जवानों राजमहल के गेट पर तैनात कर दिया है।फरीदकोट रियासत की वर्तमान समय में देखभाल महारावाल खीवा जी ट्रस्ट कर रही है, इस ट्रस्ट का गठन फरीदकोट रियासत के अंतिम राजा हरिंदर सिंह बराड़ की वसीयत के आधार पर किया गया था, ट्रस्ट पर महाराजा की दूसरी बेटी राजकुमारी दीपइंदर कौर के बाद उनके बेटे जयचंद्र मेहताब का कब्जा है। घटनाक्रम में राजा हरिंदर सिंह बराड़ की बेटी राजकुमारी अमृतपाल कौर द्वारा फरीदकोट पुलिस को 3 जुलाई को शिकायत-पत्र सौंप कर राजा की वसीयत को जाली बताते हुए ट्रस्ट को अवैध करार दिया गया था।
इस शिकायत की जांच-पड़ताल फरीदकोट पुलिस द्वारा किए जाने के उपरांत, कानूनी राय लिए जाने के बाद 7 जुलाई को ट्रस्ट के चेयरमैन जयचंद्र मेहताब समेत 23 लोगों को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज किया। मामला दर्ज किए जाने के बाद 9 जुलाई को एसएसपी फरीदकोट सरवनदीप सिंह द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी एच भूपिंदर सिंह के नेतृत्व में चार सदस्यीय एसआइटी का गठन कर दिया गया। अभी एसआईटी द्वारा ठीक से मामले को समझा भी नहीं गया था, कि कुछ लोगों द्वारा राजमहल पर कब्जे की कोशिश की गई।
कब्जे की कोशिश के बाद पहुंचे अधिकारी जांचे करते हुए। राजमहल पर कब्जे की सूचना पर किले में अपने दफ्तर में काम कर रहे ट्रस्ट के वर्तमान सीईओ बीएसएफ से सेवानिवृत डीआईजी जांगीर सिंह भी मौके पर पहुंचे, जांगीर सिंह ने डीएसपी सतविंदर सिंह विक्र को बताया कि कोर्ट ने भले ही इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है, परंतु अब भी रियासत की सम्मत्ति पर ट्रस्ट का कब्जा है, और कोर्ट ने अभी दूसरे पक्षों को कब्जा नहीं दिया है। जांगीर सिंह की बात सुनने के उपरांत डीएसपी ने उन्हें थाना सिटी फरीदकोट पहुंच कर अपनी शिकायत दर्ज करवाने को कहा। अब दोनों धड़े सिटी थाना फरीदकोट में बैठे हुए है, जहां पर पुलिस द्वारा उनसे बात की जा रही है। कब्जा करने वालों का संबंध चंडीगढ़ सेक्टर 11 निवासी राजकुमारी अमृतपाल कौर से बताया जा रहा है।
किले के अंदर महत्वपूर्ण इमारतेंकिले का इतिहास बारहवीं सदीं के साथ जुड़ा हुआ है, पहले यह मिट्टी काथा, जिसके वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1732 में शुरु हुआ, और 1889 महाराजाविक्रम सिंह द्वारा राजमहल के निर्माण से पहले तक यह शाही घराने का निवास स्थल भी रहा। किले अंदर की बेशकीमती इमारतों में राजा का दरबार हाल कांपलेक्स, ओल्ड रेडियो स्टेशन, बारह दरी, डयुढ़ी, शीश महल, मोती महल, महल मुबारक, पार्क, गुरुद्वारा साहिब, मनी मांजरा हवेली, सत महल, शाही वाहन सावरियां (बग्गियां व वेंटेज कारें), हथियार व तोशाखाना आदि दर्शनीय इमारतों के अलावा बाबा फरीद जी से सबंधित वह पवित्र स्थल भी है, जहां पर पहली बार बाबा फरीद के दर्शन लोगों को हुए।
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