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डाक्टर राज बहादुर तीसरी बार बने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर

बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ सांइस फरीदकोट के वाइस चांसलर डाक्टर राज बहादुर को एक और कार्यकाल के लिए पंजाब राजभवन से स्वीकृति मिल गई है। उनका यह कार्यकाल भी पूर्व की भांति तीन सालों का होगा।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 04:44 PM (IST)
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डाक्टर राज बहादुर तीसरी बार बने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट : बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ सांइस फरीदकोट के वाइस चांसलर डाक्टर राज बहादुर को एक और कार्यकाल के लिए पंजाब राजभवन से स्वीकृति मिल गई है। उनका यह कार्यकाल भी पूर्व की भांति तीन सालों का होगा। इसके पहले वह तीन-तीन साल के दो कार्यकाल 22 दिसंबर 2020 को पूरा कर चुके हैं। तीसरे कार्यकाल मिलने की पुष्टि डाक्टर राज बहादुर ने की है। स्पाइनल सर्जरी के एशिया में ख्याति प्राप्त डाक्टर राज बहादुर कोरोना काल में पंजाब सरकार की सेहत गाइड लाइन तय करने के साथ परचेजिंग के मुखिया रहे। वर्तमान में पंजाब सरकार की ओर से सेहत विभाग में चार हजार पदों पर की जा रही भर्ती के प्रमुख भी हैं। बाबा फरीद यूनिर्वसिटी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी व्यक्ति को तीसरे कार्यकाल के लिए प्रदेश सरकार ने स्वीकृति दी हो। हालांकि, प्रदेश सरकार के मुखिया के साथ वाइस चांसलर के करीबी संबंधों को देखते हुए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का मानना था कि प्रदेश सरकार छह महीने का कार्यकाल वाइस चांसलर का बढ़ा सकती है, लेकिन तीन साल का एक और कार्यकाल मिलने से डाक्टर राज बहादुर के प्रतिद्वंदियों को यह बात हजम नहीं हो रही है। हालांकि, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में भी एक ही व्यक्ति ने तीन-तीन कार्यकाल पूरा किया है।

हिमाचल के जिला ऊना के रहने वाले

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मूल रूप से रहने वाले डाक्टर राज बहादुर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने जो विश्वास उनपर जताया है, उस पर वह पूरी तरह से खरे साबित होंगे। उनकी प्राथमिकता फरीदकोट मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशलिस्ट वार्ड बनाए जाने के साथ ही उत्तर भारत का पहला चाइल्ड एंड मदर ब्लाक बनाना है, जहां मां और बच्चे के इलाज के लिए सभी तरह की विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों।

स्पाइनल की पहली सर्जरी शिमला में 1976 में की थी,

राज बहादुर ने बताया कि स्पाइनल की पहली सर्जरी शिमला में 1976 में की थी। यह हिमाचल प्रदेश की पहली सर्जरी रही। इसके बाद उन्होंने डाक्टर तुली की देखरेख में बनारस में विशेषज्ञता हासिल की। इसके अलावा ब्रिटेन में भी इस पर दो साल काम किया। 1984 से वह नियमित रूप से स्पाइनल व ज्वाइंट हिप्प रिप्लेसमेंट की सर्जरी कर रहे हैं। पिछले 37 साल से उनकी सर्जरी की संख्या औसतन एक रही है। डाक्टर राज बहादुर ने अपनी सेवा सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में दी है। हालांकि वह हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पुड्डुचेरी, दिल्ली, ब्रिटेन और पंजाब में भी दे चुके हैं।

बड़े योद्धा बन कर उभरे-

कोविड-19 काल में वाइस चांसलर डाक्टर राज बहादुर बड़े योद्धा बनकर उभरे हैं। हालांकि, वह खुद भी इस महामारी की चपेट में आ गए थे। कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए डाक्टर राज बहादुर ने वरिष्ठ डाक्टरों की देखरेख में प्रदेश की गाइड लाइन तैयार की, उसका परिणाम भी बेहतर रहा। प्रदेश में बीमारी से मौतों का आंकड़ा कम रहा। प्रदेश सरकार की ओर से डाक्टर राज बहादुर को करोड़ों रुपये की कोरोना से संबंधित मशीनों व उपकरणों की खरीदारी दिए जाने से सत्ताधारी दल के बहुत से लोग अपनी ही सरकार से नाराज हो गए थे, क्योंकि राज बहादुर ने बहुत ही सस्ते दर पर कंपनियों से उपकरण खरीदे, जिससे सरकार को सीधा फायदा पहुंचा और जो लोग कमीशनखोरी की चक्कर में थे, उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान भी हुआ।

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