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किसानों ने फतेहगढ़ साहिब में सुखबीर बादल का किया विरोध, कार घेर कर काले झंडे दिखाए

Farmers Protest आंदोलनकारी किसानों ने शिरोमणि अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल का फतेहगढ़ साहिब में विरोध किया। आंदोलनकारी किसानों ने सुखबीर सिंह बादल की गाड़ी को घेर लिया और उनको काले झंडे दिखाए। इस दौरान किसानों ने जमकर नारेबाजी की।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Mon, 28 Dec 2020 05:54 PM (IST)
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फतेहगढ़ साहिब में शिअद अध्‍यख सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए किसान। (जागरण)
फतेहगढ़ साहिब, जेएनएन। Farmers Protest: आंदोलनकारी किसानों ने यहां शिरोमणि अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल का सोमवार को जबरदस्‍त विरोध किया। किसानों ने सुखबीर बादल की गाड़ी को रोक दिया और गाड़ी का घेराव कर नारेबाजी की। किसानों ने उनको काले झंडे दिखाए। बाद में पुलिस ने सुखबीर सिंह बादल को दूसरे रास्‍ते से निकाला।

शहीदी सभा समाप्त होने के बाद सोमवार को गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब पहुंचे शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर बादल का विरोध हो गया। काली झंडियां लेकर पहुंचे किसानों व युवाओं ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यहां तक कि पुलिस से धक्का मुक्की करते हुए प्रदर्शनकारी सुखबीर की गाड़ियों के काफिले तक पहुंच गए और उनकी गाड़ी घेर ली गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जमकर नारेबाजी और उनको काले झंडे दिखाए।

सुखबीर सिंह बादल का फतेहगढ़ साहिब में विरोध करते किसान। (जागरण)

इसके बाद पुलिस के जवानों ने आनन-फानन में सुखबीर बादल के काफिले की गाड़ियां की दिशा बदल दी। पुलिस ने इमरजेंसी गेट खोलकर सुखबीर बादल को वहां से निकाला। जैसे ही सुखबीर बादल गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने के बाद हाल में पत्रकार सम्मेलन कर रहे थे तो बाहर से नारेबाजी होने लगी। सुखबीर के सुरक्षा कर्मी ने उन्हें बताया कि बाहर प्रदर्शन हो रहा है तो वह बिना रुके ही हाल से निकले और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें गाड़ी में बिठाया।

इससे पहले कि प्रदर्शनकारी सुखबीर तक पहुंचते वहां से काफिया दूसरे रास्ते निकाल दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शिरोमणि अकाली दल भाजपा का ही दूसरा रूप है। दोनों पार्टियों ने मिलकर किसानों से धोखा किया है। वे इन पार्टियों का पूरी तरह से बायकाट करेंगे और इनके जनप्रतिनिधियों का इसी प्रकार विरोध करते रहेंगे। खासबात यह रही कि प्रदर्शनकारियों में कोई नामी चेहरा नहीं था। सभी आसपास के गांवों के युवा थे, जो कृषि सुधार कानूनों को लेकर विरोध कर रहे थे।

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